1. डॉ. हेडगेवार का निधन 1940 में हुआ था, जबकि Royal Enfield Bullet भारत में 1955 में आई। यानी उस बुलेट पर उनका बैठना ही नामुमकिन है।
2. तस्वीर में चेहरों की रौशनी, बॉडी पोस्चर और फोटो क्वालिटी मेल नहीं खा रही — यानी फोटो डिजिटल तरीके से एडिट की गई है।
3. इतिहास में कहीं भी अंबेडकर और हेडगेवार के साथ होने का कोई प्रमाण नहीं है — न तस्वीर, न दस्तावेज़।
सवाल ये नहीं कि तस्वीर असली है या नकली, सवाल ये है कि सच जानते हुए भी उसे शेयर क्यों किया गया? और अगर वाकई जानना था, तो जनता की आवाज़ (कमेंट्स) क्यों बंद कर दी गई?
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