यम द्वितीया,भाई-दूज
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sn vyas
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#यम द्वितीया #यम द्वितीया-भाई दुज #यम द्वितीया,भाई-दूज #✡️भाई दूज की पौराणिक कहानियाँ📚 #🧑🏼‍🤝‍🧑🏻भाई-बहन 😍 यमराज का यमुना को वरदान 〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️ भगवान विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा देवी का विवाह भगवान सूर्य से हुआ था। उन दोनों की तीन संताने थी। वैवस्वत, यम, औऱ यमुना। संज्ञा देवी अपने पति सूर्य के ताप सहन नही कर पाती थी इसलिए उन्होंने अपनी छाया को सूर्य देव के पास छोड़ा और पिता के घर चली गई। पिता को जब यह बात पता चला तो उन्होंने पुत्री को वापस जाने को कहा किंतु जब वह लौटकर गई तो उन्होंने देखा कि छाया सूर्य देव का अच्छे से खयाल रख रही हैं। इसलिए वह ध्रुव प्रदेश में जाकर तपस्या करने लगी छाया से सूर्यदेव को तपती नदी तथा शनिचर ग्रह दो संतानो का जन्म हुआ। इधर छाया का यम तथा यमुना से सौतेली माता स व्यवहार होने लगा। एक बार यम को छाया का वास्तविकता का पता चल गया। विमाता के बर्ताव से खिन्न यम ने छाया को धमकाया की वह पिता के सामने सारा राज खोल देंगे। क्रोधित छाया ने यम को श्राप दे दिया कि तुम क्रूर स्वाभव के हो जाओ और कोई भी तुमसे मिलना भी पसंद न करें न ही कोई तुम्हे अथिति बनाये। यमुना को श्राप दिया कि तुम नदी बन जाओ। यम ने भी छाया को श्राप दे दिया कि आपका सूर्य की किरणें से मेल न हो सकेगा। सूर्यदेव को पता चला तो वह भागे-भागे आए और स्थिति संभाली। उन्होंने यम को वरदान दिया कि पापात्माओं को तुमसे भय होगा और संत तुमसे पीड़ित न होंगे खिन्न होकर यम ने अपनी एक नई नगरी यमपुरी बसाई। यमुना को सूर्यदेव ने आशीष दिया कि तुम गंगा के सामान पवित्र होगी और स्वयं नारायण तुमसे विवाह करेंगे। यम अब यमलोक में बसने लगे। यमपुरी में पापियों को दंड देने का कार्य संपादित करते भाई को देखकर यमुना जी गोलोक चली आई जो कि कृष्ण अवतार के समय भी थी।यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उनसे बराबर निवेदन करती थी कभी वह उनके घर आकर भोजन स्वीकार करें लेकिन यमराज अपने काम मे व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को सदैव टाल जाते थे।बहुत समय व्यतीत हो जाने पर एक दिन सहसा यम को अपनी बहन की याद आई। उन्होंने दूत को भेजकर यमुना की खोज करवाई मगर वह मिल न सकी। फिर यमराज स्वयं ही गोलोक गये जहाँ विश्राम घाट पर यमुना जी से भेंट हुई। भाई को देखते ही यमुना जी ने हर्ष से भरकर उनका स्वागत सत्कार किया तथा उन्हें भोजन करवाया। यमराज अपने बहन द्वारा किये इस आदर सत्कार से बड़े प्रसन्न हुए और यमुना से वरदान मांगने को कहा --हे भैया मैं आपसे यह वरदान मांगना चाहती हूं कि मेरे जल में स्नान करने वाले नर -नार यमपुरी न जाये। वहा के त्रास न भोगे प्रश्न बड़ा कठिन था। यम यदि ऐसा वर दे देते तो यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता। भाई को असमंजस में देखकर यमुना बोली--आप चिंता न करें मुझे यह वरदान दे कि जो लोग कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन बहन के यहाँ भोजन करके इस मथुरा नगरी स्थिति विश्राम घाट पर स्नान करें वे यमलोक को न जाये। यमराज ने बहन यमुना की बात को स्वीकार कर लिया। उन्होंने यमुना को आश्वासन दिया--इस तिथि को जो अपनी बहन के घर भोजन करेंगे वे यमपाश में बंधकर यमपुरी जाने के त्रास से मुक्त रहेंगे। तुम्हारे जल में स्नान करने वालो को स्वर्ग प्राप्त होगा। यमराज ने बहन यमुना को इतना बड़ा वरदान दिया। इसी कारण कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितिया के नाम से जाना जाता है। बहन और भाई के बीच प्रेम का यह त्यौहार भाई-दूज के नाम से मनाया जाता हैं। साभार~ पं देव शर्मा💐 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️
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sn vyas
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#भाई दूज #यम द्वितीया,भाई-दूज #यम द्वितीया पर्व 🏵️ || शुभ भाई दूज || 🏵️ माँ, पुत्री, पत्नी, बहन और भी कई रूपों में नारी का पूरी मानव जाति के लिए प्रेम, त्याग और समर्पण अकथनीय है। भाई दूज का पावन पर्व एक नारी के स्नेह, प्रेम, समर्पण एवं सामर्थ्य को स्मरण कराने का पावन दिवस है। कभी अपनी रक्षा के संकल्प लिए भाई के हाथों पर रक्षा सूत्र बाँधने वाली नारी आज अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसे अपने यम पाश से मुक्त कराने तक की सामर्थ्य का परिचय देती है। आज के इस पावन दिवस में बहुत समय पश्चात भगवान सूर्य पुत्र यम एवं पुत्री माँ यमुना जी का मिलन हुआ था। धन्य है इस नारी के लिए जो पूरे वर्षभर पुरुषों के लिए व्रत, पूजा, प्रार्थना व उनके मंगल के लिए और भी बहुत कुछ करती रहती हैं। आज के इस पावन दिवस पर सभी भाइयों को भी समाज की समस्त बहनों के सम्मान, सुरक्षा एवं अस्मिता की रक्षा का संकल्प लेना होगा, वास्तविक अर्थों में यही भाई दूज के पावन पर्व की सार्थकता है। भाई-बहन के पवित्र स्नेह-प्रेम के पावन पर्व भाई दूज की आप सभी को मंगल बधाई। जय श्री राधेकृष्ण ===========================
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