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#Kalyug_Mein_Satyug_Part3
कबीर गुरू की भक्ति बिन, धिक जीवन संसार ।
धूवां का सा धौरहरा, बिनसत लगे न बार।।
कबीर साहेब जी कहते हैं कि गुरू की भक्ति के बिना संसार में इस जीवन को धिक्कार है। व्यर्थ है यह जीवन, क्योंकि यहां माया का जो स्वरूप दिखाई पड़ता है, वह तो धुएं के महल के समान है। यह सब कुछ जल्दी ही समाप्त हो जाता है।
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