#सत_भक्ति_संदेश
कबीर, तीन लोक पिंजरा भया, पाप पुण्य दो जाल।
सभी जीव भोजन भये, एक खाने वाला काल।।
भावार्थ:-
तीन लोक – स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल -ये सब काल (ब्रह्म) द्वारा बनाया हुआ एक विशाल पिंजरा हैं। इस रचना में सभी प्राणी काल के भोजन स्वरूप बने हुए हैं।
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