श्यामा
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5 days ago
कई सालों से मैं उस एक दिन की प्रतीक्षा में हूँ, जिस दिन सब ठीक हो जाएगा। लेकिन अब लगता है… कि शायद वो दिन कभी आएगा ही नहीं। और फिर एक और ख़्याल आता है — कि ठीक हो या ना हो, एक दिन तो सब समाप्त हो ही जाएगा। फिर ना ये प्रश्न बचेंगे, ना ये प्रतीक्षाएँ… ना मैं… ना मेरा कोई "कभी", ना कोई "काश", ना कोई नाम, ना ही मेरी साँसों की गणना करता ये ब्रह्मांड। उस दिन, मेरे भीतर का शोर बाहर की ख़ामोशी से एकाकार हो जाएगा… मेरी आत्मा — अपने सभी अधूरे जवाबों सहित शून्यता में विलीन हो जाएगी… और शायद उस दिन मुझे ये जानने की ज़रूरत भी नहीं रह जाएगी कि "सब ठीक हुआ या नहीं…" क्योंकि तब, "ठीक" और "ग़लत" — दोनों के अर्थ समाप्त हो चुके होंगे। #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #🌞 Good Morning🌞 #🌷शुभ रविवार #जय श्रीकृष्ण #राधे राधे