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@k_r_kashyap
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1 दिन पहले
#😇सोमवार भक्ति स्पेशल🌟 गरुड़ पुराण में बताया गया है l कि आत्मा लगभग 13 दिनों तक उसी घर में निवास करती है। क्यूँ करवाया जाता है गरुड़ 🦅 पुराण का पाठ गरुड़ पुराण के अनुसार जब किसी के घर में किसी की मौत हो जाती है l तो 13 दिन तक गरुड़ पुराण का पाठ रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार कोई आत्मा तत्काल ही दूसरा जन्म धारण कर लेती है। किसी को 3 दिन लगते हैं, किसी को 10 से 13 दिन लगते हैं l और किसी को सवा माह लगते हैं लेकिन जिसकी स्मृति पक्की, मोह गहरा या अकाल मृत्यु मरा है तो उसे दूसरा जन्म लेने के लिए कम से कम एक वर्ष लगता है। तीसरे वर्ष उसका अंतिम तर्पण किया जाता है। फिर भी कईं ऐसी आत्माएं होती हैं जिन्हें मार्ग नजर नहीं आता है और वे भटकती रहती हैं। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि आत्मा लगभग 13 दिनों तक उसी घर में निवास करती है। ऐसी स्थिति में यदि घर में गरुड़ पुराण का नियमित पाठ किया जाता है l तो इसके श्रवण मात्र से ही आत्मा को शांति तथा मोक्ष की प्राप्ति संभव हो जाती है। इसके अलावा इसमें जीवन से जुड़े सात ऐसे महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं, जिनका पालन प्रत्येक व्यक्ति को बड़ी ही सहजता के साथ करना चाहिए। 🙏गरुड़ पुराण क्या है ?💛 एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु से प्राणियों की मृत्यु, यमलोक यात्रा, नरक-योनियों तथा सद्गति के बारे में अनेक गूढ़ और रहस्य युक्त प्रश्न पूछे। उन्हीं प्रश्नों का भगवान विष्णु ने सविस्तार उत्तर दिया। ये प्रश्न और उत्तर की श्रृंखला ही गरुड़ पुराण है। गरुड़ पुराण में स्वर्ग-नरक, पाप-पुण्य के अलावा भी बहुत कुछ है। उसमें ज्ञान, विज्ञान, नीति, नियम और धर्म की बाते हैं। गरुड़ पुराण में एक ओर जहां मौत का रहस्य है तो दूसरी ओर जीवन का रहस्य छिपा हुआ है। इससे हमें कई तरह की शिक्षाएं मिलती हैं। गरुड़ पुराण में, मृत्यु के पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया गया है। 💛यह पुराण भगवान विष्णु की भक्ति और उनके ज्ञान पर आधारित है। प्रत्येक व्यक्ति को यह पुराण पढ़ना चाहिए।💐 गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथों में से एक है। 18 पुराणों में से इसे एक माना जाता है। गरुड़ पुराण में हमारे जीवन को लेकर कई गूढ़ बातें बताई गई हैं जिनके बारें में व्यक्ति को जरूर जनाना चाहिए। #🕉 ओम नमः शिवाय 🔱 #🌅 सूर्योदय शुभकामनाएं #🙏जय महाकाल📿 #🌷शुभ सोमवार
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1 दिन पहले
#😇सोमवार भक्ति स्पेशल🌟 प्रेम का जागरण: जब राधा ने पहली बार सुनी कान्हा की मुरली... 🎶✨ बरसाना की पावन गलियों में, प्रेम साक्षात रूप ले रहा था। राधा रानी... जिनकी आँखों में अपार कोमलता और हृदय में अद्भुत शांति थी। उनके लिए जगत कहता था— "वह सिर्फ सुंदर नहीं थीं, वह स्वयं 'प्रेम का स्वरूप' थीं।" 💖 ...और फिर वह दिव्य क्षण आया। एक दिन, वृन्दावन की ओर जाने वाले कच्चे रास्ते पर, सखियों संग पुष्प चयन करते समय, हवाओं को चीरती हुई एक मधुर बाँसुरी की धुन उनके कानों में पड़ी। 🌼 राधा का हृदय जैसे वहीं ठहर गया! यह कोई साधारण संगीत नहीं था। यह एक ऐसी पुकार थी, जिसने उनके भीतर जन्मों से सोए प्रेम के बीज को झकझोर कर जगा दिया था। उनकी आँखों में एक अनोखी चमक थी, जैसे वह किसी अदृश्य शक्ति की ओर खिंची जा रही हों। व्याकुल होकर उन्होंने पूछा— "यह किसकी बाँसुरी है, जो मन को यूँ बांध लेती है?" सखियों ने मुस्कुराकर कहा— "राधे! यह तो नंदलाल कृष्ण का जादू है। जब वह यमुना किनारे बजाते हैं, तो प्रकृति भी थम जाती है।" 🍃 उस क्षण, राधा ने केवल धुन नहीं सुनी, बल्कि कृष्ण के प्रति अपने शाश्वत संबंध को अनुभव किया। उनकी आत्मा समझ चुकी थी— ✨ “यह सिर्फ संगीत नहीं… यह मेरा अपना बुलावा है।” ✨ राधा का प्रेम जाग चुका था, और इसी के साथ ब्रह्मांड की सबसे अमर प्रेम कथा एक नए, दिव्य मोड़ में प्रवेश कर चुकी थी। ❤️ प्रेम के इस दिव्य प्राकट्य को नमन। बोलो राधे #🕉 ओम नमः शिवाय 🔱 #🌷शुभ सोमवार #🌅 सूर्योदय शुभकामनाएं #🙏जय महाकाल📿
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1 दिन पहले
#😇सोमवार भक्ति स्पेशल🌟 पितामत्पार्वतीनाथ: माताश्री पार्वती: स्वयं। बान्धवा: शैवशाक्ताश्च सर्वब्रह्मांडमालयम्।। मेरी स्वयं भगवती पार्वती तथा पिता साक्षाद पार्वतीपति देवाधिदेव जगत्पति शिव हैं तथा जितने भी शैवशाक्त हैं वास्तविकरूप से केवल वही मेरे बंधु हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड मेरा घर हैं। #🌷शुभ सोमवार #🌅 सूर्योदय शुभकामनाएं #🕉 ओम नमः शिवाय 🔱 #🙏जय महाकाल📿
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1 दिन पहले
#😇सोमवार भक्ति स्पेशल🌟 *॥ श्रीहरि: ॥* दिनांक 8.12.25. वि. सं. 2082, 'कालयुक्त' संवत्सर, पौष मास, कृष्ण पक्ष, चतुर्थी, सोमवार। (गीता दैनन्दिनी अनुसार) 1- परम श्रद्धेय स्वामीजी श्रीरामसुखदासजी महाराजका प्रवचन— दिनांक— 21.10.1993, प्रातः 5.18 बजे। स्थान— वृन्दावन। *⚜️ काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य— ये छः दोष मनुष्योंके रिपु (शत्रु) बताये गये हैं, इनमें काम, क्रोध, लोभ मुख्य है, इन तीनोंमें भी काम (कामना) मुख्य है। कामना पूर्तिमें बाधा पड़ने पर क्रोध पैदा होता है और कामना सिद्धि होने पर लोभ पैदा होता है। ऐसा होना चाहिए और ऐसा नहीं होना चाहिए— यह भी कामनाका ही रूप है। कामना उत्पन्न और नष्ट होने वाली है, ऐसा समझमें तो आता है, लेकिन आप इनसे अलग नहीं होते हैं।* *⚜️ जैसे आप सब पांडालमें इस प्रकाशमें आते-जाते हैं, परन्तु प्रकाश किसीसे भी लिप्त नहीं होता है, आप आवें, न आवें, आकर चले जाएं— प्रकाश है जैसा ही रहता है, प्रकाशमें कभी कुछ फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे ही वृत्तियोंके आप दृष्टा बनकर रहें, वृत्तियोंके आने, न आने, आकर मिट जानेसे स्वरूपमें कुछ भी फर्क नहीं पड़ता है; स्वरूप है जैसा ही रहता है। आप आने-जाने वाली इन वृत्तियोंमें तटस्थ रहें तो जीवन मुक्त हो जाएंगे, भगवत्प्रेमकी प्राप्ति हो जाएगी।* *⚜️ 'इन्द्रियस्येन्द्रियस्यार्थे रागद्वेषौ व्यवस्थितौ। तयोर्न वशमागच्छेत्तौ ह्यस्य परिपन्थिनौ॥' (गीता-3/34)। प्रत्येक इन्द्रियके विषयमें मनुष्यके राग-द्वेष अवस्थित हैं, मनुष्यको इनके वशीभूत नहीं होना चाहिये; क्योंकि ये मनुष्योंके पारमार्थिक मार्गमें विघ्न डालनेवाले शत्रु हैं।* *⚜️ काम-क्रोधादिक वृत्तियोंके आने पर इनसे दुःखी होकर भगवान् को पुकारनेसे भगवान् अवश्य सुनते हैं। जिनके काम-क्रोधादिक विकार मिट गये हैं, अथवा मिट रहे हैं, उनके सानिध्यमें रहनेसे लाभ होता है। महापुरुषोंके सानिध्यमें रहनेसे ये विकार पैदा ही नहीं होते हैं, स्वाभाविक ही इन वृत्तियों पर विजय हो जाती है, पशु-पक्षियों पर भी ऐसे महापुरूषोंका असर पड़ता है।* *⚜️ एकान्तमें बैठकर भक्तोंके चरित्र पढ़नेसे भी लाभ होता है। भक्तोंके चरित्र पढ़ते-पढ़ते हृदय गद-गद हो जाय, अश्रुपात होने लगे तो पुस्तक बन्द कर दें और भगवन्नामका जप-कीर्तन आदि करने लगें, गद-गद हृदयसे भगवान् से प्रार्थना करें। ऐसा करते-करते मन वापस चंचल हो जाय तो वैसे ही भक्तोंके चरित्र पढ़ना शुरू कर दें। इस विधिसे भक्तोंके चरित्र पढ़नेसे और भगवन्नाम जप, कीर्तन, प्रार्थना आदिसे स्वाभाविक ही वृत्तियां शान्त हो जाती है। वृत्तियां अशुद्ध मनमें ही पैदा होती है और प्रबल रहती है। भक्तोंकी लिखी हुई पुस्तकें (विनय पत्रिका आदि) पढ़नेसे, सत्संगसे भी ह‌दय शुद्ध होता है। हमें मन लगानेके लिए पढ़ना है, ग्रन्थ पूरा करनेके लिए नहीं। ऐसा करते-करते काम-क्रोधादिक वृत्तियोंको हटानेकी सामर्थ्य आ जाती है।* 🌷🌷🌷🌷🌷 #🌷शुभ सोमवार #🕉 ओम नमः शिवाय 🔱 #🙏जय महाकाल📿 #🌅 सूर्योदय शुभकामनाएं
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1 दिन पहले
#😇सोमवार भक्ति स्पेशल🌟 बालशशी बलभाल विराजत रविपावकशशि नैत्र सुहाए। ब्रह्मविष्णुसदाशिवसेवा यतनित पाद पखारन धाए।। कस महिमा बरनन करूँ बगलाभुवना माय। नित्य चरन मोहि राखियो सब अपराध भुलाय।। #🌷शुभ सोमवार #🕉 ओम नमः शिवाय 🔱 #🙏जय महाकाल📿 #🌅 सूर्योदय शुभकामनाएं
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1 दिन पहले
#😇सोमवार भक्ति स्पेशल🌟 🕉️ सर्वप्रकारकी बन्धन-मुक्तिके लिये आशु फलदायक, सिद्ध-अनुभूत रुद्रावतार श्रीहनुमत्कृत, श्रीराम-स्तुति हा नाथ ! हा नरोत्तम ! हा दयालो ! सीतापते ! रुचिरकुण्डलशोभिवक्त्र । भक्तार्तिदाहक ! मनोहररूपधारिन् ! मां बन्धनात् सपदि मोचय मा विलम्बम् ॥ पद्मपुराण पातालखण्ड ५३। १४ 🌿🍂☘️🌿🍂☘️🌿🍂☘️🌿🍂☘️🌿🍂☘️🌿 ❀༺꧁||🙏जय माँ🙏||꧂༻❀ #🌅 सूर्योदय शुभकामनाएं #🌷शुभ सोमवार #🕉 ओम नमः शिवाय 🔱 #🙏जय महाकाल📿
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