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##भगवद गीता🙏🕉️ #🙏गीता ज्ञान🛕 #☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख
#भगवद गीता🙏🕉️ - श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्चला। समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि I।  भाँति- भाँतिके वचनोंको विचलित हुई सुननेसे तेरी बुद्धि जब परमात्मामें अचल और स्थिर ठहर तब तू योगको प्राप्त हो जायगा अर्थात् जायगी , तेरा परमात्मासे नित्य संयोग हाे जायगा II ५३ Il अर्जुन उवाच নহান | स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य स्थितधीः किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत  HII নীল-ই   কহান ! মমাখিন   সথিন अर्जुन प्राप्त हुए स्थिरबुद्धि पुरुषका परमात्माको I लक्षण है ? वह स्थिरबुद्धि पुरुष कैसे बोलता है, कैसे बैठता है और कैसे चलता है ? II५४ Il श्रीभगवानुवाच प्रजहाति यदा कामान्सर्वान्पार्थ मनोगतान्। आत्मन्येवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते ।। श्रीभगवान् बोले  हे अर्जुन ! जिस कालमें यह पुरुष मनमें स्थित सम्पूर्ण कामनाओंको भलीभाँति त्याग देता है और आत्मासे आत्मामें ही संतुष्ट रहता है, उस कालमें वह स्थितप्रज्ञ कहा जाता है Il ५५ II श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्चला। समाधावचला बुद्धिस्तदा योगमवाप्स्यसि I।  भाँति- भाँतिके वचनोंको विचलित हुई सुननेसे तेरी बुद्धि जब परमात्मामें अचल और स्थिर ठहर तब तू योगको प्राप्त हो जायगा अर्थात् जायगी , तेरा परमात्मासे नित्य संयोग हाे जायगा II ५३ Il अर्जुन उवाच নহান | स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य स्थितधीः किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत  HII নীল-ই   কহান ! মমাখিন   সথিন अर्जुन प्राप्त हुए स्थिरबुद्धि पुरुषका परमात्माको I लक्षण है ? वह स्थिरबुद्धि पुरुष कैसे बोलता है, कैसे बैठता है और कैसे चलता है ? II५४ Il श्रीभगवानुवाच प्रजहाति यदा कामान्सर्वान्पार्थ मनोगतान्। आत्मन्येवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते ।। श्रीभगवान् बोले  हे अर्जुन ! जिस कालमें यह पुरुष मनमें स्थित सम्पूर्ण कामनाओंको भलीभाँति त्याग देता है और आत्मासे आत्मामें ही संतुष्ट रहता है, उस कालमें वह स्थितप्रज्ञ कहा जाता है Il ५५ II श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat

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