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peer Mohammad Shaikh
#📚कविता-कहानी संग्रह
घाव गिनते न कभी ज़ख्म शुमारी करते इश्क मे हम भी अगर वक़्त गुज़ारी करते तुझमे तो खैर मोहब्बत के थे पहलु ही बहुत दुश्मन जान भी अगर होता तो यारी करते हो गयी धूल तेरे रास्ते मे बैठे बैठे बन गये अक्स तेरे आईना दारी करते.
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