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प्रभु श्री राम की शरण में जाते हुए आकाश मार्ग में विभीषण मन में मनोरथ कर रहा है कि मुझ अपात्र को भी प्रभु की अकारण कृपा वश आज उन दिव्य चरणों के दर्शन प्राप्त होंगे जिनकी महिमा अपरंपार है, जो भरत जी बिना राम जी को साथ लिए वापस अयोध्या कभी नहीं लौटते वो भी प्रभु के चरणों के स्पर्श से पवित्र हुई चरण पादुकाओं को अपने मस्तक पर विराजमान करके वापस लौट गए व अपने हृदय में प्रभु के चरणकमलों की छवि को स्थायी रूप से बसा लिया। । राम राम जी। ##सुंदरकांड पाठ चौपाई📙🚩
#सुंदरकांड पाठ चौपाई📙🚩 - दोहा जिन्ह पापन्ह के पादुकन्हि भरतु रहे मन लाइ। ते पद आजु बिलोकिहउँ इन्ह नपनन्हि अब जाइ | I४२ | |  जिन चरणों की पादुकाओं में भरतजी ने अपना मन है, अहा! आज मैं उन्हीं चरणों को अभी लगा रखा से देखूँगा | I४२ ।। जाकर इन नेत्रों  सदरकाण्द  दोहा जिन्ह पापन्ह के पादुकन्हि भरतु रहे मन लाइ। ते पद आजु बिलोकिहउँ इन्ह नपनन्हि अब जाइ | I४२ | |  जिन चरणों की पादुकाओं में भरतजी ने अपना मन है, अहा! आज मैं उन्हीं चरणों को अभी लगा रखा से देखूँगा | I४२ ।। जाकर इन नेत्रों  सदरकाण्द - ShareChat

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