#☝अनमोल ज्ञान #❤️जीवन की सीख #🕉️सनातन धर्म🚩
बत्तीस प्रकारके सेवापराध माने गये हैं—
१-सवारीपर चढक़र अथवा पैरोंमें खड़ाऊँ पहनकर श्रीभगवान्के मन्दिरमें जाना। २-रथयात्रा, जन्माष्टमी आदि उत्सवोंका न करना या उनके दर्शन न करना।
३-श्रीमूर्तिके दर्शन करके प्रणाम न करना।
४-अशुचि-अवस्थामें दर्शन करना।
५-एक हाथ से प्रणाम करना।
६-परिक्रमा करते समय भगवान् के सामने आकर कुछ न रुककर फिर परिक्रमा करना अथवा केवल सामने ही परिक्रमा करते रहना।
७-श्रीभगवान् के श्रीविग्रह के सामने पैर पसारकर बैठना।
८-श्रीभगवान् के श्रीविग्रह के सामने दोनों घुटनों को ऊँचा करके उनको हाथोंसे लपेटकर बैठ जाना।
९-श्रीभगवान् के श्रीविग्रह के सामने सोना।
१०-श्रीभगवान् के श्रीविग्रह के सामने भोजन करना।
११-श्रीभगवान् के श्रीविग्रह के सामने झूठ बोलना।
१२-श्रीभगवान् के श्रीविग्रह के सामने जोर से बोलना।
१३-श्रीभगवान् के श्रीविग्रह के सामने आपस में बातचीत करना।
१४-श्रीभगवान् के श्रीविग्रहके सामने चिल्लाना।
१५-श्रीभगवान् के श्रीविग्रह के सामने कलह करना।
१६-श्रीभगवान् के श्रीविग्रहके सामने किसी को पीड़ा देना।
१७-श्रीभगवान् के श्रीविग्रह के सामने किसीपर अनुग्रह करना।
१८-श्रीभगवान् के श्रीविग्रहके सामने किसीको निष्ठुर वचन बोलना।
१९-श्रीभगवान् के श्रीविग्रहके सामने कम्बल से सारा शरीर ढक लेना।
२०-श्रीभगवान् के श्रीविग्रह के सामने दूसरेकी निन्दा करना।
२१-श्रीभगवान् के श्रीविग्रह के सामने दूसरे की स्तुति करना।
२२-श्रीभगवान् के श्रीविग्रह के सामने अश्लील शब्द बोलना।
२३-श्रीभगवान् के श्रीविग्रहके सामने अधोवायु का त्याग करना।
२४-शक्ति रहते हुए भी गौण अर्थात् सामान्य उपचारोंसे भगवान् की सेवा-पूजा करना। २५-श्रीभगवान् को निवेदित किये बिना किसी भी वस्तु का खाना-पीना।
२६-जिस ऋतु में जो फल हो, उसे सबसे पहले श्रीभगवान् को न चढ़ाना।
२७-किसी शाक या फलादिके अगले भाग को तोडक़र भगवान् के व्यञ्जनादि के लिये देना। २८-श्रीभगवान् के श्रीविग्रहको पीठ देकर बैठना।
२९-श्रीभगवान् के श्रीविग्रहके सामने दूसरे किसीको भी प्रणाम करना।
३०-गुरुदेव की अभ्यर्थना, कुशल-प्रश्न और उनका स्तवन न करना।
३१-अपने मुखसे अपनी प्रशंसा करना।
३२-किसी भी देवताकी निन्दा करना।
☘️संकलित

