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प्रभु श्री राम वनराधीश सुग्रीव द्वार विभीषण के आगमन की बात सुन कर सुग्रीव के मन की दशा जानने हेतु कहते हैं कि हे सुग्रीव तुम मेरे मित्र हो, मेरे हितैषी हो, अब तुम ही कुछ सलाह दो की क्या करना चाहिये ; सुग्रीव कहता है कि करोगे तो आप वो ही जो आपके मन भायेगा क्योंकि आप नर रूप में नारायण हो पर मेरे मन की बात मैं कह देता हूँ कि ये राक्षशों की छल कपट की नीति बहुत खतरनाक है, ये कामादि मनोरोगों से पीड़ित राक्षस जाने क्या कुटिल योजना बना कर भक्त रूप में आये हैं ये आप ही जान सकते हो प्रभु। ।। राम राम जी।। ##सुंदरकांड पाठ चौपाई📙🚩
#सुंदरकांड पाठ चौपाई📙🚩 - कह प्रभु सखा बूझिए काहा | कहड कपीस सुनहु नरनाहा | [ जानि न जाइ निसाचर माया | केहि कामरूप 6 3IIII3II -प्रभु श्री रामजी ने कहा- हे मिन्र! तुम क्या ೩ समझते  (तुम्हारी क्या राय है) ? वानरराज ने कहा- हे महाराज! ತಾಾ' सुनिए, राक्षसों की माया जानी नहीं जाती यह इच्छानुसार रूप बदलने वाला (छली) न जाने किस कारण आया है।।४३-३। | सदरकाण्द  कह प्रभु सखा बूझिए काहा | कहड कपीस सुनहु नरनाहा | [ जानि न जाइ निसाचर माया | केहि कामरूप 6 3IIII3II -प्रभु श्री रामजी ने कहा- हे मिन्र! तुम क्या ೩ समझते  (तुम्हारी क्या राय है) ? वानरराज ने कहा- हे महाराज! ತಾಾ' सुनिए, राक्षसों की माया जानी नहीं जाती यह इच्छानुसार रूप बदलने वाला (छली) न जाने किस कारण आया है।।४३-३। | सदरकाण्द - ShareChat

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