#🖋ग़ज़ल
जो रंजिशें थी उन्हें बरक़रार रहने दिया
गले मिले भी तो दिल में ग़ुबार रहने दिया
न कोई ख्वाब दिखाया न ग़म दिया उसको
बस उसकी आँख में एक इंतज़ार रहने दिया
गली के मोड़ से आवाज़ दे के लौट आए,
तमाम रात उसे बेक़रार रहने दिया
उसे भुला दिया और याद भी रखा उसको
यानी नशा उतार दिया और खुमार रहने दिया
