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श्री महाराजा अजमीढ़ देव जी (Ajmeedh Dev Ji) मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के आदि पुरुष (पितृ-पुरुष) और आराध्य माने जाते हैं। उनके बारे में कुछ मुख्य जानकारी इस प्रकार है: वंश और काल: वे चंद्रवंश की 28वीं पीढ़ी में त्रेतायुग के अंत में जन्मे थे। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का समकालीन और मित्र भी बताया जाता है। पूर्वज: उनके दादा महाराजा श्रीहस्ति थे, जिन्होंने प्रसिद्ध हस्तिनापुर की स्थापना की थी, और उनके पिता महाराजा विकुंठन थे। कला और व्यवसाय: महाराजा अजमीढ़ एक महान क्षत्रिय राजा होने के साथ-साथ उच्च कोटि के कलाकार भी थे। उन्हें सोने-चांदी के आभूषण, खिलौने और बर्तन बनाने का शौक था। यही शौक बाद में उनकी पीढ़ियों द्वारा स्वर्णकार (सुनार) व्यवसाय के रूप में अपनाया गया। नगर की स्थापना: ऐसा माना जाता है कि उन्होंने ही अजमेर (प्राचीन नाम अजयमेरू) नगर की नींव रखी थी और मेवाड़ की स्थापना की थी। जयंती: उनकी जयंती प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा के दिन मैढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज द्वारा पूरे देश में बड़े उत्साह और धार्मिक भावनाओं के साथ मनाई जाती है। महाराजा अजमीढ़ देव जी को धर्म-कर्म में विश्वास रखने वाले, पराक्रमी राजा और एक ऐसी परंपरा को जन्म देने वाले व्यक्तित्व के रूप में याद किया जाता है जिसने कला और कारीगरी को एक गौरवशाली व्यवसाय में बदल दिया। क्या आप महाराजा अजमीढ़ जी या स्वर्णकार समाज के बारे में कोई और जानकारी जानना चाहेंगे? #श्री अजमीढ़ देव जी महाराज #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #🗞breaking news🗞 #aaj ki taaja khabar
श्री अजमीढ़ देव जी महाराज - ०७ अक्टूबर आदि पुरुष महान पराक्रमी राजा एवं स्वर्णकार समाज के श्री अजमीढ़ देव जी महाराज की जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन Wk Ill (ltll" ०७ अक्टूबर आदि पुरुष महान पराक्रमी राजा एवं स्वर्णकार समाज के श्री अजमीढ़ देव जी महाराज की जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन Wk Ill (ltll" - ShareChat

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