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विभीषण प्रभु श्री राम की शरण में जाते हुए मन में मनोरथ कर रहा है कि मैं अब धन्यभागी हूँ क्योंकि अब मुझे प्रभु के उन चरणों के दर्शन मिलेंगे जो माया मृग के पीछा करते हुए धरती पर दौड़े थे और जिनको माता जानकी ने अपने हृदय में धारण कर रखा है, जिन चरणों को भगवान शंकर ने अपने हृदय के पावन सरोवर में स्थापित कर रखा है। ।। राम राम जी।। ##सुंदरकांड पाठ चौपाई📙🚩
#सुंदरकांड पाठ चौपाई📙🚩 - जे पद जनकसुताँ उर लाए।  कुरंग संग धर धाए। ।  कपट हर उर सर सरोज पद जेई। अहोभाग्प मैं देखहउँ तेई । l४ | ] जिन चरणों को जानकीजी ने हृदय में धारण कर रखा है, जो (उसे पकडने को) दौडे थे और जो कपटमृग के साथ पृथ्वी पर चरणकमल साक्षात् शिवजी के हृदय रूपी सरोवर में विराजते हैं, मेरा अहोभाग्य है कि उन्हीं को आज मैं देखूँगा| I४२-४।। सदरकाण्द  जे पद जनकसुताँ उर लाए।  कुरंग संग धर धाए। ।  कपट हर उर सर सरोज पद जेई। अहोभाग्प मैं देखहउँ तेई । l४ | ] जिन चरणों को जानकीजी ने हृदय में धारण कर रखा है, जो (उसे पकडने को) दौडे थे और जो कपटमृग के साथ पृथ्वी पर चरणकमल साक्षात् शिवजी के हृदय रूपी सरोवर में विराजते हैं, मेरा अहोभाग्य है कि उन्हीं को आज मैं देखूँगा| I४२-४।। सदरकाण्द - ShareChat

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