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#❤️जीवन की सीख ##भगवद गीता🙏🕉️ #🙏 प्रेरणादायक विचार #☝ मेरे विचार #Bhagvad Geeta ka Gyaan
❤️जीवन की सीख - नेहाभिक्रमनाशोउस्ति प्रत्यवायो न विद्यते। स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्।I इस कर्मयोगमें आरम्भका अर्थात् बीजका नाश नहीं है और उलटा फलरूप दोष भी नहीं है, बल्कि इस कर्मयोगरूप धर्मका थोड़ा-सा भी साधन जन्म- मृत्युरूप महान् भयसे रक्षा कर लेता है II ४० Il व्यवसायात्मिका   बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन। बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोउव्यवसायिनाम् ।।  हे अर्जुन! इस कर्मयोगमें निश्चयात्मिका बुद्धि एक ही होती है; किन्तु अस्थिर विचारवाले विवेकहीन मनुष्योंकी बुद्धियाँ निश्चय ही बहुत भेदोंवाली  সন্ধাস और अनन्त होती हैं Il ४१ II श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार नेहाभिक्रमनाशोउस्ति प्रत्यवायो न विद्यते। स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्।I इस कर्मयोगमें आरम्भका अर्थात् बीजका नाश नहीं है और उलटा फलरूप दोष भी नहीं है, बल्कि इस कर्मयोगरूप धर्मका थोड़ा-सा भी साधन जन्म- मृत्युरूप महान् भयसे रक्षा कर लेता है II ४० Il व्यवसायात्मिका   बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन। बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोउव्यवसायिनाम् ।।  हे अर्जुन! इस कर्मयोगमें निश्चयात्मिका बुद्धि एक ही होती है; किन्तु अस्थिर विचारवाले विवेकहीन मनुष्योंकी बुद्धियाँ निश्चय ही बहुत भेदोंवाली  সন্ধাস और अनन्त होती हैं Il ४१ II श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat

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