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विभीषण आकाश मार्ग से यही सब मनोरथ करते हुए आ रहा है और सागर के इस तट पर आकर जैसे ही उसने धरती पर कदम रखा और प्रभु श्री राम की शरणागति हेतु कदम बढ़ाया उसका हृदय प्रेम से लबालब हो गया, नयन प्रेमरस से सरोबार हो गए, रखवाले वानरों ने उसको देखा तो बड़े सोच में पड़ गए कि ये क्या विचित्र जीव है, शरीर से तो राक्षस है, मुखमुद्रा से भक्त नजर आता है, कदम यहां वहां पड़ रहे हैं जानो किसी (प्रेम के) नशे में हो, लगता है कि प्रभु के दूत हनुमान जी के जबाब में लंकापति रावण ने कोई विशिष्ट दूत भेजा है। ।। राम राम जी।। ##सुंदरकांड पाठ चौपाई📙🚩
#सुंदरकांड पाठ चौपाई📙🚩 - ऐहि बिधि करत सप्रेम बिचारा | i்s एहिं पारा। [ आयउ सपदि कपिन्ह बिभीषनु आवत देखा | रिपु दूत बिसेषा | I१ । [  जाना कोउ शीद्र ही समुद्र के प्रेमसहित विचार करते हुए वे  इस प्रकार इस पार (जिधर श्री रामचंद्रजी की सेना थी) आ गए। वानरों ने विभीषण को आते देखा तो उन्होंने जाना कि शत्रु का कोई खास दूत है।।४३-१।। सदरकाण्द  ऐहि बिधि करत सप्रेम बिचारा | i்s एहिं पारा। [ आयउ सपदि कपिन्ह बिभीषनु आवत देखा | रिपु दूत बिसेषा | I१ । [  जाना कोउ शीद्र ही समुद्र के प्रेमसहित विचार करते हुए वे  इस प्रकार इस पार (जिधर श्री रामचंद्रजी की सेना थी) आ गए। वानरों ने विभीषण को आते देखा तो उन्होंने जाना कि शत्रु का कोई खास दूत है।।४३-१।। सदरकाण्द - ShareChat

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