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#श्रीमद् भगवद गीता #भगवद गीता के सभी श्लोक #श्रीमद भगवद गीता उपदेश 🙏🙏 ##भगवद गीता🙏🕉️ #भगवद गीता
श्रीमद् भगवद गीता - अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः ( स्त्रीषु वर्णसङ्करः दुष्टासु वार्ष्णेय जायते || पापके अधिक बढ़ जानेसे कुलकी स्त्रियाँ हे कृष्ण ! 4 अत्यन्त दूषित होे जाती हैं और हे वार्ष्णेय ! स्त्रियोंके दूषित हो जानेपर वर्णसंकर उत्पन्न होता है Il ४१ II सङ्करो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च। पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः I। वर्णसंकर कुलघातियोंको और नरकमें ক্তুলন্ধী ले जानेके लिये ही होता है। लुप्त हुई पिण्ड और जलकी क्रियावाले अर्थात् श्राद्ध और तर्पणसे वञ्चित इनके पितरलोग भी अधोगतिको प्राप्त होते हैं Il ४२ II নীষীন: वर्णसङ्करकारकैः कुलघ्नानां 0 उत्साद्यन्ते जातिधर्माः कुलधर्माश्च शाश्वताः I। इन वर्णसंकरकारक दोषोंसे कुलघातियोंके सनातन कुल-्धर्म और जाति-धर्म नष्ट हो जाते हैं Il ४३ Il उत्सन्नकुलधर्माणां जनार्दन। मनुष्याणां भवतीत्यनुशुश्रुम Il नरकेउनियतं নামী हे जनार्दन ! जिनका कुल-्धर्म नष्ट हो गया है, ऐसे मनुष्योँका अनिश्चित कालतक नरकमें वास आये हैं ।l ४४ Il होता है, ऐसा हम सुनते गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः ( स्त्रीषु वर्णसङ्करः दुष्टासु वार्ष्णेय जायते || पापके अधिक बढ़ जानेसे कुलकी स्त्रियाँ हे कृष्ण ! 4 अत्यन्त दूषित होे जाती हैं और हे वार्ष्णेय ! स्त्रियोंके दूषित हो जानेपर वर्णसंकर उत्पन्न होता है Il ४१ II सङ्करो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च। पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः I। वर्णसंकर कुलघातियोंको और नरकमें ক্তুলন্ধী ले जानेके लिये ही होता है। लुप्त हुई पिण्ड और जलकी क्रियावाले अर्थात् श्राद्ध और तर्पणसे वञ्चित इनके पितरलोग भी अधोगतिको प्राप्त होते हैं Il ४२ II নীষীন: वर्णसङ्करकारकैः कुलघ्नानां 0 उत्साद्यन्ते जातिधर्माः कुलधर्माश्च शाश्वताः I। इन वर्णसंकरकारक दोषोंसे कुलघातियोंके सनातन कुल-्धर्म और जाति-धर्म नष्ट हो जाते हैं Il ४३ Il उत्सन्नकुलधर्माणां जनार्दन। मनुष्याणां भवतीत्यनुशुश्रुम Il नरकेउनियतं নামী हे जनार्दन ! जिनका कुल-्धर्म नष्ट हो गया है, ऐसे मनुष्योँका अनिश्चित कालतक नरकमें वास आये हैं ।l ४४ Il होता है, ऐसा हम सुनते गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat

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