MUKESH Nagar
ShareChat
click to see wallet page
@mukeshkhujner
mukeshkhujner
MUKESH Nagar
@mukeshkhujner
व्यस्त रहें, मस्त रहें
#☝ मेरे विचार #🙏 प्रेरणादायक विचार #मित्र #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख
☝ मेरे विचार - 20 जब आपको हराने के लिए नवम्बर परिश्रम और प्रयास करने की बजाय आपकी पीठ पीछे साजिश और षडयंत्र करने लगे तो समझ लीजिए कि आपकी वर्षो की मेहनत सफल हुई )0 20 जब आपको हराने के लिए नवम्बर परिश्रम और प्रयास करने की बजाय आपकी पीठ पीछे साजिश और षडयंत्र करने लगे तो समझ लीजिए कि आपकी वर्षो की मेहनत सफल हुई )0 - ShareChat
#❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #मित्र #☝ मेरे विचार
❤️जीवन की सीख - २० नवम्बर सार्वभौमिक बाल दिवस Universall Children's Day MN २० नवम्बर सार्वभौमिक बाल दिवस Universall Children's Day MN - ShareChat
#मित्र #🙏 प्रेरणादायक विचार #☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख
मित्र - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः पृच्छामि त्वां धर्मसम्मूढचेताः | यच्छ्रेयः स्यान्निश्चितं ब्रूहि तन्मे शिष्यस्तेष्हं शाधि मां त्वां प्रपन्नम् ।। इसलिये कायरतारूप दोषसे उपहत हुए स्वभाववाला तथा धर्मके विषयमें मोहितचित्त हुआ मैँ आपसे पूछता  हूँ कि जो साधन निश्चित कल्याणकारक हो, वह मेरे लिये कहिये; क्योंकि मैं आपका शिष्य हूँ॰ इसलिये शिक्षा दीजिये I।७ Il आपके शरण हुए ತಳಹ न हि प्रपश्यामि ममापनुद्या- द्यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम् ( भूमावसपत्नमृद्ध- अवाप्य राज्यं सुराणामपि चाधिपत्यम्।I क्योंकि भूमिमें निष्कण्टक   धन- धान्यसम्पन्न राज्यको और देवताओंके स्वामीपनेको प्राप्त होकर भी मैँ उस उपायको नहीं देखता हूँ, जो मेरी इन्द्रियोंके सुखानेवाले शोकको दूर कर सके Il ८ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः पृच्छामि त्वां धर्मसम्मूढचेताः | यच्छ्रेयः स्यान्निश्चितं ब्रूहि तन्मे शिष्यस्तेष्हं शाधि मां त्वां प्रपन्नम् ।। इसलिये कायरतारूप दोषसे उपहत हुए स्वभाववाला तथा धर्मके विषयमें मोहितचित्त हुआ मैँ आपसे पूछता  हूँ कि जो साधन निश्चित कल्याणकारक हो, वह मेरे लिये कहिये; क्योंकि मैं आपका शिष्य हूँ॰ इसलिये शिक्षा दीजिये I।७ Il आपके शरण हुए ತಳಹ न हि प्रपश्यामि ममापनुद्या- द्यच्छोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम् ( भूमावसपत्नमृद्ध- अवाप्य राज्यं सुराणामपि चाधिपत्यम्।I क्योंकि भूमिमें निष्कण्टक   धन- धान्यसम्पन्न राज्यको और देवताओंके स्वामीपनेको प्राप्त होकर भी मैँ उस उपायको नहीं देखता हूँ, जो मेरी इन्द्रियोंके सुखानेवाले शोकको दूर कर सके Il ८ II गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#📖जीवन का लक्ष्य🤔 #🙏 प्रेरणादायक विचार #❤️जीवन की सीख #☝ मेरे विचार #मित्र
📖जीवन का लक्ष्य🤔 - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 अर्जुन उवाच कथं भीष्ममहं सड्ख्ये द्रोणं च मधुसूदन। সনিত্রীনসামি   পুতাঙ্কনবিমুনন Il इषुभिः अर्जुन बोले - हे मधुसूदन ! मैँ रणभूमिमें किस प्रकार बाणोँसे भीष्मपितामह और द्रोणाचार्यके विरुद्ध लड़ूँगा ? क्योंकि हे अरिसूदन ! वे दोनों ही पूजनीय हैँ Il ४ Il  हि সঙ্কান্তুপানা- गुरूनहत्वा ञ्छ्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके। हत्वार्थकामांस्तु गुरूनिहैव भुञ्जीय   भोगान्रुधिरप्रदिग्धान्।। इसलिये इन महानुभाव गुरुजनोंको न मारकर मैँ इस लोकमें भिक्षाका अन्न भी खाना कल्याणकारक समझता हूँ; क्योंकि गुरुजनोंको मारकर भी इस लोकमें   रुधिरसे ತಾ   31೫ 7 और कामरूप भोगोँको ही तो भोगूँगा II ५ II चैतद्विद्मः कतरन्नो गरीयो- ন यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयुः 16 यानेव हत्वा न जिजीविषाम- धार्तराष्ट्राः I। स्तेउवस्थिताः प्रमुखे हम यह भी नहीं जानते कि हमारे लिये युद्ध करना और न करना- इन दोनोंमेंसे कौन-्सा श्रेष्ठ है, अथवा यह भी नहीं जानते कि उन्हें हम जीतेँगे या हमको वे जीतेंगे। और जिनको मारकर हम वे ही हमारे जीना 61 ఖ चाहते , आत्मीय धृतराष्ट्रके पुत्र हमारे मुकाबलेमें खड़े हैं Il ६ Il गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 अर्जुन उवाच कथं भीष्ममहं सड्ख्ये द्रोणं च मधुसूदन। সনিত্রীনসামি   পুতাঙ্কনবিমুনন Il इषुभिः अर्जुन बोले - हे मधुसूदन ! मैँ रणभूमिमें किस प्रकार बाणोँसे भीष्मपितामह और द्रोणाचार्यके विरुद्ध लड़ूँगा ? क्योंकि हे अरिसूदन ! वे दोनों ही पूजनीय हैँ Il ४ Il  हि সঙ্কান্তুপানা- गुरूनहत्वा ञ्छ्रेयो भोक्तुं भैक्ष्यमपीह लोके। हत्वार्थकामांस्तु गुरूनिहैव भुञ्जीय   भोगान्रुधिरप्रदिग्धान्।। इसलिये इन महानुभाव गुरुजनोंको न मारकर मैँ इस लोकमें भिक्षाका अन्न भी खाना कल्याणकारक समझता हूँ; क्योंकि गुरुजनोंको मारकर भी इस लोकमें   रुधिरसे ತಾ   31೫ 7 और कामरूप भोगोँको ही तो भोगूँगा II ५ II चैतद्विद्मः कतरन्नो गरीयो- ন यद्वा जयेम यदि वा नो जयेयुः 16 यानेव हत्वा न जिजीविषाम- धार्तराष्ट्राः I। स्तेउवस्थिताः प्रमुखे हम यह भी नहीं जानते कि हमारे लिये युद्ध करना और न करना- इन दोनोंमेंसे कौन-्सा श्रेष्ठ है, अथवा यह भी नहीं जानते कि उन्हें हम जीतेँगे या हमको वे जीतेंगे। और जिनको मारकर हम वे ही हमारे जीना 61 ఖ चाहते , आत्मीय धृतराष्ट्रके पुत्र हमारे मुकाबलेमें खड़े हैं Il ६ Il गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat
#❤️जीवन की सीख #🙏 प्रेरणादायक विचार #मित्र #☝ मेरे विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔
❤️जीवन की सीख - 19 -rr अंतर्राष्ट्रीय पुरुष faa Internationall Day Men's विश्व शौचालय दिवस World Toilet Day MN 19 -rr अंतर्राष्ट्रीय पुरुष faa Internationall Day Men's विश्व शौचालय दिवस World Toilet Day MN - ShareChat
#📖जीवन का लक्ष्य🤔 #🙏 प्रेरणादायक विचार #☝ मेरे विचार #मित्र #❤️जीवन की सीख
📖जीवन का लक्ष्य🤔 - 9 तुझसे न सुलझे तेरे जव नवम्बर भगवान के < 5 99, ১ इंसाफ पर सब छोड़ दें बन्दे खुद हीं तेरी मुश्किल को वह आसान करेगा , जो तू नहीं कर पाया चो भगवान करेगा | ZON 9 तुझसे न सुलझे तेरे जव नवम्बर भगवान के < 5 99, ১ इंसाफ पर सब छोड़ दें बन्दे खुद हीं तेरी मुश्किल को वह आसान करेगा , जो तू नहीं कर पाया चो भगवान करेगा | ZON - ShareChat
#☝ मेरे विचार #🙏 प्रेरणादायक विचार #❤️जीवन की सीख #मित्र #📖जीवन का लक्ष्य🤔
☝ मेरे विचार - !9Gg0 विश्वास से एक भरी प्रार्थना 9 अंधकार के समस्त बंधनों কী নীভন কা सामर्थ्य रखती है N !9Gg0 विश्वास से एक भरी प्रार्थना 9 अंधकार के समस्त बंधनों কী নীভন কা सामर्थ्य रखती है N - ShareChat
#मित्र #🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #❤️जीवन की सीख #☝ मेरे विचार
मित्र - 18 कभी जीवन में अकेला नवम्बर चलना पड़े तो भयभीत मत होना क्योकि शमशान, शिखर और सिंहासन पर व्यक्ति हमेशा अकेला 32 21 ZON 18 कभी जीवन में अकेला नवम्बर चलना पड़े तो भयभीत मत होना क्योकि शमशान, शिखर और सिंहासन पर व्यक्ति हमेशा अकेला 32 21 ZON - ShareChat
#❤️जीवन की सीख #📖जीवन का लक्ष्य🤔 #☝ मेरे विचार #🙏 प्रेरणादायक विचार #मित्र
❤️जीवन की सीख - @ न संघर्ष न तकलीफें नवम्बर फिर क्या मजा जीने में तूफान भी रूक जाएगा जब लक्ष्य रहेगा मन में )0 @ न संघर्ष न तकलीफें नवम्बर फिर क्या मजा जीने में तूफान भी रूक जाएगा जब लक्ष्य रहेगा मन में )0 - ShareChat
#श्रीमद् भगवद गीता #श्रीमद भगवद गीता उपदेश 🙏🙏 ##भगवद गीता🙏🕉️ #भगवद गीता #भगवद गीता सार
श्रीमद् भगवद गीता - अहो बत महत्पापं कर्तुं व्यवसिता वयम्। यद्राज्यसुखलोभेन 8் TgaగT: Il हा ! शोक ! हमलोग बुद्धिमान् होकर भी महान् पाप करनेको तैयार हो गये हैं, जो राज्य 3117 எச*் लोभसे स्वजनोंको मारनेके लिये उद्यत T ೯ Il %u // यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः | धार्तराष्ट्रा   रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत्।। यदि मुझ शस्त्ररहित एवं सामना न करनेवालेको शस्त्र हाथमें लिये हुए धृतराष्ट्रके पुत्र रणमें मार भी   मेरे लिये   अधिक ভাল   নী वह मारना कल्याणकारक   होगा II ४६ Il सञ्जय उवाच एवमुक्त्वार्जुनः सङ्ख्ये रथोपस्थ उपाविशत्।  विसृज्य सशरं चापं शोकसंविग्नमानसः I। संजय बोले  रणभूमिमें शोकसे उद्विग्न मनवाले अर्जुन   इस बाणसहित धनुषको प्रकार  कहकर त्यागकर रथके पिछले भागमें बैठ गये ।। ४७ |l श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे ३ँ० तत्सदिति श्रीकृष्णार्जुनसंवादेर्जुनविषादयोगो नाम प्रथमोउध्यायः II १ II ~~o~ गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार अहो बत महत्पापं कर्तुं व्यवसिता वयम्। यद्राज्यसुखलोभेन 8் TgaగT: Il हा ! शोक ! हमलोग बुद्धिमान् होकर भी महान् पाप करनेको तैयार हो गये हैं, जो राज्य 3117 எச*் लोभसे स्वजनोंको मारनेके लिये उद्यत T ೯ Il %u // यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः | धार्तराष्ट्रा   रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत्।। यदि मुझ शस्त्ररहित एवं सामना न करनेवालेको शस्त्र हाथमें लिये हुए धृतराष्ट्रके पुत्र रणमें मार भी   मेरे लिये   अधिक ভাল   নী वह मारना कल्याणकारक   होगा II ४६ Il सञ्जय उवाच एवमुक्त्वार्जुनः सङ्ख्ये रथोपस्थ उपाविशत्।  विसृज्य सशरं चापं शोकसंविग्नमानसः I। संजय बोले  रणभूमिमें शोकसे उद्विग्न मनवाले अर्जुन   इस बाणसहित धनुषको प्रकार  कहकर त्यागकर रथके पिछले भागमें बैठ गये ।। ४७ |l श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे ३ँ० तत्सदिति श्रीकृष्णार्जुनसंवादेर्जुनविषादयोगो नाम प्रथमोउध्यायः II १ II ~~o~ गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat