. निकुंज रस वाणी
#राधे कृष्ण
जब भी सखी,
अपने सतगुरु प्रियतम को स्मरण करे,
तो मन में यह विचार न लाए कि —
क्या गुरुदेव मेरी पुकार सुन रहे हैं या नहीं?
संदेह का स्थान न रहने दे,
बस अंतःकरण से प्रेमपूर्वक उन्हें पुकारे।
जब पुकार सच्चे भाव से उठेगी,
तब अनुभव होगा —
“हाँ, मेरे सतगुरु, मेरे युगल स्वामी,
मेरी पुकार सुन रहे हैं।”
और धीरे-धीरे सखी के मन में
उनकी उपस्थिति का अहसास भी प्रकट होने लगेगा,
जैसे निकुंज में सुगंध फैल जाए —
वैसे ही हृदय में उनका अनुभव भर जाए।
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