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. निकुंज रस वाणी #राधे कृष्ण जब भी सखी, अपने सतगुरु प्रियतम को स्मरण करे, तो मन में यह विचार न लाए कि — क्या गुरुदेव मेरी पुकार सुन रहे हैं या नहीं? संदेह का स्थान न रहने दे, बस अंतःकरण से प्रेमपूर्वक उन्हें पुकारे। जब पुकार सच्चे भाव से उठेगी, तब अनुभव होगा — “हाँ, मेरे सतगुरु, मेरे युगल स्वामी, मेरी पुकार सुन रहे हैं।” और धीरे-धीरे सखी के मन में उनकी उपस्थिति का अहसास भी प्रकट होने लगेगा, जैसे निकुंज में सुगंध फैल जाए — वैसे ही हृदय में उनका अनुभव भर जाए। ...
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