संसारेऽस्मिन् क्षणार्थोऽपि सत्संगः शेवधिर्नृणाम् ।
यस्य दवाण्यते सर्व पुरुषार्थ चतुष्टयम् ॥
अर्थात 👉🏻 इस संसार में यदि क्षणभर के लिये भी सत्संग मिल जाय तो वह मनुष्यों के लिये निधि का काम देता है , क्योंकि उससे चारों पुरुषार्थ प्राप्त हो जाते हैं ।
🌄🌄 प्रभातवंदन 🌄🌄
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