प्रभु श्री राम सुग्रीव से कह रहे हैं कि तुम किसी बात से मत डरो, तुम जानते नही हो लक्ष्मण को यदि क्रोध आ जाये तो वह अकेला ही पलक झपकते ही (निमिख में) सारे विश्व के समस्त राक्षशों का अंत कर सकता है (जैसे सिर्फ साढ़े तीन ग्राम करोना वायरस ने विश्व की महाशक्तियों को पल भर में प्रभु याद दिला दिए) ; और यदि वह प्रेम या भय से मेरी शरणागति में आ रहा है तो मैं वचनबद्ध हूँ और शरणागत को प्राणों के समान प्रेम करता हूं।
।। राम राम।।
##सुंदरकांड पाठ चौपाई📙🚩
![#सुंदरकांड पाठ चौपाई📙🚩 - महुँ सखा निसाचर जेते | जग लछिमनु हनइ निमिष महुँ तेते । । সী মঃীন গাবা মনাৎ] रखिहउँ ताहि प्रान की नाई। l४ | ] क्योँकि हे सखे! जगत में जितने भी राक्षस हैं, लक्ष्मण क्षणभर में उन सबको मार सकते हैं और यदि वह भयभीत होकर मेरी है तो मैं तो उसे प्राणों की तरह रखूँगा | I४४-४ ।। शरण आया सुदरकाण्ड महुँ सखा निसाचर जेते | जग लछिमनु हनइ निमिष महुँ तेते । । সী মঃীন গাবা মনাৎ] रखिहउँ ताहि प्रान की नाई। l४ | ] क्योँकि हे सखे! जगत में जितने भी राक्षस हैं, लक्ष्मण क्षणभर में उन सबको मार सकते हैं और यदि वह भयभीत होकर मेरी है तो मैं तो उसे प्राणों की तरह रखूँगा | I४४-४ ।। शरण आया सुदरकाण्ड - ShareChat #सुंदरकांड पाठ चौपाई📙🚩 - महुँ सखा निसाचर जेते | जग लछिमनु हनइ निमिष महुँ तेते । । সী মঃীন গাবা মনাৎ] रखिहउँ ताहि प्रान की नाई। l४ | ] क्योँकि हे सखे! जगत में जितने भी राक्षस हैं, लक्ष्मण क्षणभर में उन सबको मार सकते हैं और यदि वह भयभीत होकर मेरी है तो मैं तो उसे प्राणों की तरह रखूँगा | I४४-४ ।। शरण आया सुदरकाण्ड महुँ सखा निसाचर जेते | जग लछिमनु हनइ निमिष महुँ तेते । । সী মঃীন গাবা মনাৎ] रखिहउँ ताहि प्रान की नाई। l४ | ] क्योँकि हे सखे! जगत में जितने भी राक्षस हैं, लक्ष्मण क्षणभर में उन सबको मार सकते हैं और यदि वह भयभीत होकर मेरी है तो मैं तो उसे प्राणों की तरह रखूँगा | I४४-४ ।। शरण आया सुदरकाण्ड - ShareChat](https://cdn4.sharechat.com/bd5223f_s1w/compressed_gm_40_img_863662_2202d7b_1759813861927_sc.jpg?tenant=sc&referrer=pwa-sharechat-service&f=927_sc.jpg)