#उत्पन्ना एकादशी #🙏🙏 उत्पन्ना एकादशी 🙏🙏 #वैष्णव उत्पन्ना एकादशी #उत्पन्ना एकादशी 🪷✨😍🥰
🌷 श्री उत्पन्ना/उत्पत्ति एकादशी व्रत*श 🌷
{ कल 15 नवंबर 2025, शनिवार }
{ *एकादशी माता का प्रागटय दिन* }
[प्रभु श्री हरि विष्णु का अंश]
*मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष* ( *गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार कार्तिक कृष्णपक्ष* ) एकादशी को ' *उत्पत्ति एकादशी* ' कहते हैं ..जो इस बार *15 नवंबर 2025, शनिवार के दिन है🙏*
👉 *एकादशी तिथि प्रारंभ* 👇
14 नवंबर 2025,शुक्रवार दोपहर 2:19 मिनट से
👉 *एकादशी तिथि समापन* 👇
15 नवंबर 2025,शनिवार शाम 4:07 पर
👉 *एकादशी तिथि पारण*👇
16 नवंबर 2025, रविवार सुबह 7:17 से 9:13 तक.
*विशेष :*
*एकादशी का व्रत सूर्योदय तिथि 15 नवंबर 2025,शनिवार के दिन ही रखें* 🙏 शुक्रवार दोपहर एवं शनिवार व्रत के दिन खाने में चावल या चावल से बनी हुए चीज वस्तुओं का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें🙏 अगर आप व्रत नहीं रखते हैं तो भी🙏
{ *कोई कोई जगह पर 16 नवंबर 2025, रविवार के दिन पक्ष वर्धिनी महाद्वादशी होने के कारण द्वादशी का व्रत रखा जाएगा}*
👉 *आईए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी नाम कैसे पड़ा❓❓... माता एकादशी का प्रागटय कैसे हुआ* ❓❓👇
*प्रभु श्री हरि विष्णु जी के शरीर से एक स्त्री/देवी उत्पन्न हुई* और यही स्त्री ने मुरु नाम के राक्षस का वध कर दिया और वह दिन एकादशी तिथि थी इसलिए इस तिथि को *उत्पन्ना/उत्पत्ति एकादशी तिथि कहते हैं* ... जो भी कोई *नए भक्त गण* एकादशी तिथि का व्रत शुरु करना चाहते हैं वह भक्तगण को *इसी एकादशी के दिन से सभी एकादशी तिथि का व्रत करने की शुरुआत करनी चाहिए ऐसी मान्यता है.🙏*
👉 *सूतजी कहने लगे* - हे ऋषियों! उत्पत्ति एकादशी व्रत का वृत्तांत और उत्पत्ति प्राचीनकाल में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम भक्त युधिष्ठिर से कही थी। वही मैं तुमसे कहता हूँ
एक समय युधिष्ठिर ने भगवान से पूछा था कि एकादशी व्रत किस विधि से किया जाता है❓ और उसका क्या फल प्राप्त होता है🙏 उपवास के दिन जो क्रिया की जाती है आप कृपा करके मुझसे कहिए🙏 यह वचन सुनकर श्रीकृष्ण कहने लगे- हे युधिष्ठिर! मैं तुमसे एकादशी के व्रत का माहात्म्य कहता हूँ। सुनो।
👉 *एकादशी माहात्म्य* 👇
जो मनुष्य विधिपूर्वक एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें शंखोद्धार तीर्थ में स्नान करके भगवान के दर्शन करने से जो फल प्राप्त होता है, वह एकादशी व्रत के सोलहवें भाग के भी समान नहीं है। व्यतिपात के दिन दान देने का लाख गुना फ़ल होता है। संक्रांति से चार लाख गुना तथा सूर्य-चंद्र ग्रहण में स्नान-दान से जो पुण्य प्राप्त होता है *वही पुण्य एकादशी के दिन व्रत करने से मिलता है।*
अश्वमेध यज्ञ करने से सौ गुना तथा एक लाख तपस्वियों को साठ वर्ष तक भोजन कराने से दस गुना, दस ब्राह्मणों अथवा सौ ब्रह्मचारियों को भोजन कराने से हजार गुना पुण्य भूमिदान करने से होता है। उससे हजार गुना पुण्य कन्यादान से प्राप्त होता है। इससे भी दस गुना पुण्य विद्यादान करने से होता है। *विद्यादान से दस गुना पुण्य भूखे को भोजन कराने से होता है। अन्नदान के समान इस संसार में कोई ऐसा कार्य नहीं जिससे देवता और पितर दोनों तृप्त होते हों परंतु एकादशी के व्रत का पुण्य सबसे अधिक होता है* 🚩
हजार यज्ञों से भी अधिक इसका फ़ल होता है। इस व्रत का प्रभाव देवताओं को भी दुर्लभ है। *रात्रि को फ़लाहार करने वाले को* उपवास का आधा फ़ल मिलता है और *दिन में एक बार फ़लाहार करने वाले को भी आधा ही फल प्राप्त होता है।* जबकि *निर्जल व्रत रखने वाले का माहात्म्य तो देवता भी वर्णन नहीं कर सकते* 🙏
👉 *एकादशी व्रत विधि* 👇
सर्वप्रथम हेमंत ऋतु में मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी से इस व्रत को प्रारंभ किया जाता है। दशमी को सायंकाल भोजन के बाद अच्छी प्रकार से दातुन करें ताकि अन्न का अंश मुँह में रह न जाए। रात्रि को भोजन कदापि न करें, न अधिक बोलें। एकादशी के दिन प्रात: उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके पश्चात शौच आदि से निवृत्त होकर शुद्ध जल से स्नान करें। व्रत करने वाला चोर, पाखंडी, परस्त्रीगामी, निंदक, मिथ्याभाषी तथा किसी भी प्रकार के पापी से बात न करे🙏
स्नान के पश्चात धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से भगवान का पूजन करें और रात को दीपदान करें। रात्रि में सोना नहीं चाहिए🙏 सारी रात भजन-कीर्तन आदि करना चाहिए🙏 जो कुछ पहले जाने-अनजाने में पाप हो गए हों, उनकी क्षमा माँगनी चाहिए🙏 धर्मात्मा पुरुषों को कृष्ण और शुक्ल दोनों पक्षों की एकादशियों को समान समझना चाहिए।
🙏 *ओम नमो नारायणाय* 🙏

