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#जय श्री राम 🍁राजा दशरथ का विवाह माता कौशल्या से कैसे हुआ? 🍁 एक पौराणिक कथा के अनुसार, कौशल्या, कुशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) की राजकुमारी थीं। उनके पिता का नाम सुकौशल और माता का नाम अमृतप्रभा था। राजकुमारी के विवाह योग्य होने पर अच्छे मैत्री संबंधों के चलते सुकौशल ने बेटी कौशल्या का विवाह भी राजा दशरथ से तय कर दिया लेकिन अचानक एक दिन राजकुमारी कौशल्या राजभवन से अदृश्य हो गयीं। उधर अयोध्या से महाराज अपने पुत्र दशरथ और बाकी सेना लेकर सरयू नदी के मार्ग से नौका द्वारा कोसल की यात्रा के लिए निकले, ताकि पुत्र विवाह शीघ्र हो सके। अचानक भयानक आँधी आयीं और बहुत-सी नौकाएँ डूब गयीं। महाराज ने देखा कि युवराज जिस नौका से चल रहे थे, उसका भी कोई अता-पता नहीं है। दरअसल, रावण ने जब अपने भाग्य पर विचार किया, तो उसे पता चला कि दशरथ और कौशल्या के द्वारा उत्पन्न पुत्र उसका वध करेगा। इसलिये, उसने कौशल्या का हरण करके और उन्हें पेटिका में बन्द करके दक्षिण सागर में अपने एक परिचित महामत्स्य को दे दिया था। महामत्स्य पेटिका को सदैव अपने मुख में रखता था। लेकिन एक दिन दूसरे महामत्स्य ने उस पर आक्रमण किया। उससे लड़ने के लिए, मत्स्य ने वह पेटिका गंगासागर के किनारे भूमि पर छोड़ दी। भीतर से कौशल्या पेटिका खोलकर बाहर आ गयीं। संयोग से दशरथ जी भी बहते हुए वहीं पहुँचे। वहीं उनका कौशल्या से पहली मुलाक़ात हुई। परस्पर परिचय के बाद, उन्होंने कौशल्या से विवाह कर लिया और अयोध्या लौट आये। माता कौशल्या इतनी कोमल ह्रदय की थीं कि उन्होंने राजा दशरथ की सभी पत्नियों को अपनी बहन के समान समझा और भगवान् राम के वनवास जाने के बाद भारत को ही राम समझकर पुत्र स्नेह देती रहीं। भगवान् राम उनकी कोख से जन्म लेंगे और राजा दशरथ से उनका रिश्ता तय होगा, ये सब पहले से ही तय था।
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