श्रीमद भागवत महापुराण में रावण का जिक्र आता है कि भगवान नारायण हाथ में गदा लिये सुतल लोक में राजा बलि के द्वार पर सदा उपस्थित रहते हैं। एक बार जब दिग्विजय करता हुआ घमंडी रावण वहां पहुंचा, तब उसे भगवान ने अपने पैर के अंगूठे की ठोकर से ही लाखों योजन दूर फेंक दिया था।
श्रीमद्भागवत-महापुराण/५/२४/२७
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