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मनुष्य मन, वाणी और शरीर से पाप करता है यदि वह उन पापों को इसी जन्म में प्रायश्चित ना कर ले तो मरने के बाद उसे अवश्य ही भयंकर यातनापूर्ण नरको में जाना पड़ता है। प्रायश्चित स्वरूप जो कर्म करोगे उसको भी भोगना पड़ेगा तो शुकदेवजी ने पुनः कहा कर्म के द्वारा ही कर्म का निर्बीज नाश नहीं होता क्योंकि कर्म का अधिकारी अज्ञानी है। अज्ञान रहते पाप वासनाएं सर्वथा नहीं मिट सकती। इसलिए सच्चा प्रायश्चित तो तत्वज्ञान ही है श्रीमद्भागवत-महापुराण/६/१/६-१२ #PuranikYatra #MBAPanditJi
MBAPanditJi - मनुष्य मन, वाणी और शरीर से पाप करता है यदि वह उन पापों को इसी जन्म में प्रायश्चित ना कर ले तो मरने के बाद उसे अवश्य ही भयंकर यातनापूर्ण नरको में जाना पड़ता है। प्रायश्चित स्वरूप जो कर्म करोगे उसको भी भोगना पड़ेगा तो शुकदेवजी ने पुनः कहा कर्म के द्वारा ही कर्म का निर्बीज नाश नहीं होता क्योंकि कर्म का अधिकारी अज्ञानी है। पाप वासनाएं सर्वथा नहीं मिट सकती| रहते अज्ञान इसलिए सच्चा प्रायश्चित तो तत्वज्ञान ही है श्रीमद्रागवत ्महापुराण/ ६/१/६ १२ Follow us: Puranikyatra मनुष्य मन, वाणी और शरीर से पाप करता है यदि वह उन पापों को इसी जन्म में प्रायश्चित ना कर ले तो मरने के बाद उसे अवश्य ही भयंकर यातनापूर्ण नरको में जाना पड़ता है। प्रायश्चित स्वरूप जो कर्म करोगे उसको भी भोगना पड़ेगा तो शुकदेवजी ने पुनः कहा कर्म के द्वारा ही कर्म का निर्बीज नाश नहीं होता क्योंकि कर्म का अधिकारी अज्ञानी है। पाप वासनाएं सर्वथा नहीं मिट सकती| रहते अज्ञान इसलिए सच्चा प्रायश्चित तो तत्वज्ञान ही है श्रीमद्रागवत ्महापुराण/ ६/१/६ १२ Follow us: Puranikyatra - ShareChat
श्रीमद्भागवत-महापुराण/5/26/7-37 #PuranikYatra #MBAPanditJi #shrimadbhagwat #MBAPanditJi
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ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्। यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्।।8.13।। जो पुरुष 'ओम् इति' - ओम् इतना ही, जो अक्षय ब्रह्म का परिचायक है, इसका जप तथा मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग कर जाता है, वह पुरुष परमगति को प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवद्गीता: यथार्थ गीता/८/१३ स्वामी अड़गड़ानन्द जी #MBAPanditJi #PuranikYatra
MBAPanditJi - ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्। प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्। । यः 8.13// ओम्  जो पुरुष ' ओम् इति' इतना ही, जो अक्षय ब्रह्म का परिचायक है, इसका जप तथा मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग कर जाता है, वह पुरुष परमगति को प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवद्नीताः यथार्थ गीता| ८/१३ स्वामी अड़गड़ानन्द जी Follow us: Puranikyatra ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्। प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्। । यः 8.13// ओम्  जो पुरुष ' ओम् इति' इतना ही, जो अक्षय ब्रह्म का परिचायक है, इसका जप तथा मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग कर जाता है, वह पुरुष परमगति को प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवद्नीताः यथार्थ गीता| ८/१३ स्वामी अड़गड़ानन्द जी Follow us: Puranikyatra - ShareChat
राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से पूछा - भगवन्! आप जिस नरक का वर्णन करते हैं, वह नरक इसी पृथ्वी के कोई देशाविशेष है अथवा त्रिलोकी से बाहर या इसी के भीतर किसी जगह है? श्रीशुकदेव जी ने कहा - राजन! वे त्रिलोकी के भीतर ही है तथा दक्षिण की ओर पृथ्वी से नीचे जल के ऊपर स्थित है। श्रीमद्भागवत-महापुराण/५/२६/४ #PuranikYatra #MBAPanditJi
MBAPanditJi - राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से पूछा भगवन्! आप जिस नरक का वर्णन करते हैं, पृथ्वी के कोई देशाविशेष है इसी वह नरक अथवा त्रिलोकी से बाहर या इसी के भीतर கி168? राजन! वे त्रिलोकी श्रीशुकदेव जी ने कहा के भीतर ही है तथा दक्षिण की ओर पृथ्वी से नीचे जल के ऊपर स्थित है। श्रीमद्भागवत ्महापुराण/५/२६/४ Follow us: Puranikyatra राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से पूछा भगवन्! आप जिस नरक का वर्णन करते हैं, पृथ्वी के कोई देशाविशेष है इसी वह नरक अथवा त्रिलोकी से बाहर या इसी के भीतर கி168? राजन! वे त्रिलोकी श्रीशुकदेव जी ने कहा के भीतर ही है तथा दक्षिण की ओर पृथ्वी से नीचे जल के ऊपर स्थित है। श्रीमद्भागवत ्महापुराण/५/२६/४ Follow us: Puranikyatra - ShareChat
श्रीमद भागवत महापुराण में रावण का जिक्र आता है कि भगवान नारायण हाथ में गदा लिये सुतल लोक में राजा बलि के द्वार पर सदा उपस्थित रहते हैं। एक बार जब दिग्विजय करता हुआ घमंडी रावण वहां पहुंचा, तब उसे भगवान ने अपने पैर के अंगूठे की ठोकर से ही लाखों योजन दूर फेंक दिया था। श्रीमद्भागवत-महापुराण/५/२४/२७ #PuranikYatra #MBAPanditJi
MBAPanditJi - श्रीमद भागवत महापुराण में रावण का जिक्र आता है कि भगवान नारायण हाथ में गदा लिये सुतल लोक में राजा बलि के द्वार पर सदा उपस्थित रहते हैं। एक बार जब दिग्विजय करता हुआ घमंडी रावण वहां पहुंचा , तब उसे भगवान ने अपने पैर के अंगूठे की ठोकर से ही लाखों योजन दूर फेंक दिया था। श्रीमद्भागवत ्महापुराण/ ५/२४/२७ Follow us: Puranikyatra श्रीमद भागवत महापुराण में रावण का जिक्र आता है कि भगवान नारायण हाथ में गदा लिये सुतल लोक में राजा बलि के द्वार पर सदा उपस्थित रहते हैं। एक बार जब दिग्विजय करता हुआ घमंडी रावण वहां पहुंचा , तब उसे भगवान ने अपने पैर के अंगूठे की ठोकर से ही लाखों योजन दूर फेंक दिया था। श्रीमद्भागवत ्महापुराण/ ५/२४/२७ Follow us: Puranikyatra - ShareChat
नमो ज्योतिर्लोकाय कालाय-नायानिमिषां पतये महापुरुषायाभिधीमहीति ॥ ८ ॥ -'सम्पूर्ण ज्योतिर्गणोंके आश्रय, कालचक्रस्वरूप, सर्वदेवाधिपति परमपुरुष परमात्माका हम नमस्कारपूर्वक ध्यान करते हैं' ॥ ८ ॥ ग्रह, नक्षत्र और ताराओंके रूपमें भगवान्‌का आधिदैविकरूप प्रकाशित हो रहा है; वह तीनों समय उपर्युक्त मन्त्रका जप करनेवाले पुरुषोंके पाप नष्ट कर देता है। जो पुरुष प्रातः, मध्याह्न और सायं - तीनों काल उनके इस आधिदैविक स्वरूपका नित्यप्रति चिन्तन और वन्दन करता है, उसके उस समय किये हुए पाप तुरन्त नष्ट हो जाते हैं ॥ ९ ॥ श्रीमद् भागवत महापुराण/५/२३/९ #PuranikYatra #MBAPanditJi
MBAPanditJi - नमो ज्योतिर्लोकाय कालाय ्नायानिमिषां पतये महापुरुषायाभिधीमहीति Il C Il -'सम्पूर्ण ज्योतिर्गणोंके आश्रय , कालचक्रस्वरूप, सर्वदेवाधिपति परमपुरुष परमात्माका हम नमस्कारपूर्वक ध्यान करते हैं' Il ८ Il ग्रह, नक्षत्र और ताराओंके रूपमें भगवान्का आधिदैविकरूप प्रकाशित हो रहा है; वह तीनों समय उपर्युक्त मन्त्रका जप करनेवाले पुरुषोंके पाप नष्ट कर देता है। जो पुरुष प्रातः, तीनों काल उनके इस आधिदैविक मध्याह्न और सायं स्वरूपका नित्यप्रति चिन्तन और वन्दन करता है, उसके उस समय किये हुए पाप तुरन्त नष्ट हो जाते हैं Il ९ Il श्रीमद  महापुराण/ ५/२३/९ भागवत Follow us: Puranikyatra नमो ज्योतिर्लोकाय कालाय ्नायानिमिषां पतये महापुरुषायाभिधीमहीति Il C Il -'सम्पूर्ण ज्योतिर्गणोंके आश्रय , कालचक्रस्वरूप, सर्वदेवाधिपति परमपुरुष परमात्माका हम नमस्कारपूर्वक ध्यान करते हैं' Il ८ Il ग्रह, नक्षत्र और ताराओंके रूपमें भगवान्का आधिदैविकरूप प्रकाशित हो रहा है; वह तीनों समय उपर्युक्त मन्त्रका जप करनेवाले पुरुषोंके पाप नष्ट कर देता है। जो पुरुष प्रातः, तीनों काल उनके इस आधिदैविक मध्याह्न और सायं स्वरूपका नित्यप्रति चिन्तन और वन्दन करता है, उसके उस समय किये हुए पाप तुरन्त नष्ट हो जाते हैं Il ९ Il श्रीमद  महापुराण/ ५/२३/९ भागवत Follow us: Puranikyatra - ShareChat
जिस प्रकार दायॅं चलाने के समय अनाज को खूॅंदनेवाले पशु छोटी, बड़ी और मध्यम रस्सी से बंधकर क्रमशः निकट, दूर और मध्य में रहकर खंभे के चारों ओर मण्डल बांधकर घूमते रहते हैं, उसी प्रकार सारे नक्षत्र और ग्रहगण बाहर-भीतर के क्रम से इस कालचक्र में नियुक्त होकर ध्रुवलोक का ही आश्रय लेकर वायु की प्रेरणा से कल्प के अन्त तक घूमते रहते हैं। श्रीमद्भागवत-महापुराण/५/२३/३ #PuranikYatra #MBAPanditJi
MBAPanditJi - जिस प्रकार दायँ चलाने के समय अनाज को खूँदनेवाले पशु छोटी , बड़ी और मध्यम रस्सी से बंधकर क्रमशः निकट, दूर और मध्य में रहकर खंभे के चारों ओर मण्डल बांधकर रहते घूमते हैं, उसी प्रकार सारे नक्षत्र और ग्रहगण बाहर- नियुक्त होकर भीतर के क्रम से इस कालचक्र में ध्रुवलोक का ही आश्रय लेकर वायु की प्रेरणा से कल्प के अन्त तक रहते हैं। ঘুসন श्रीमद्भागवत ्महापुराण/ ५/२३/३ Follow us: Puranikyatra जिस प्रकार दायँ चलाने के समय अनाज को खूँदनेवाले पशु छोटी , बड़ी और मध्यम रस्सी से बंधकर क्रमशः निकट, दूर और मध्य में रहकर खंभे के चारों ओर मण्डल बांधकर रहते घूमते हैं, उसी प्रकार सारे नक्षत्र और ग्रहगण बाहर- नियुक्त होकर भीतर के क्रम से इस कालचक्र में ध्रुवलोक का ही आश्रय लेकर वायु की प्रेरणा से कल्प के अन्त तक रहते हैं। ঘুসন श्रीमद्भागवत ्महापुराण/ ५/२३/३ Follow us: Puranikyatra - ShareChat
राजा सगर के पुत्रों ने अपने यज्ञ को घोड़े को ढूंढते हुए इस पृथ्वी को चारों ओर से खोदा था। उससे जम्बूद्वीप के अंतर्गत ही आठ उपद्वीप और बन गए, ऐसा कुछ लोगों का कथन है। वह स्वर्णप्रस्थ, चन्द्रशुक्ल, आवर्तन, रमणक, मन्दहरिण, पांचजन्य, सिंहल और लंका है। श्रीमद्भागवत-महापुराण/५/१९/२९-३० श्रीमद्भागवत-महापुराण/5/19/29-30 #bhavishypuran #vedpuran #puranam #puranikyatra #mbapanditji #upanishads #shrimadbhagwat #shrimadbhagwatkatha #bhagwatkatha #bhagwat #bhagwatkathalive #भागवत #भागवतकथा #श्रीमद्भगवद्गीता #MBAPanditJi
MBAPanditJi - पुत्रों ने अपने यज्ञ को घोडे़ राजा सगर के को ढूंढते हुए इस को चारों ओर से पृथ्वी खोदा था। उससे जम्बूद्वीप के अंतर्गत ही उपद्वीप और बन गए, ऐसा कुछ आठ लोगों का कथन है। वह स्वर्णप्रस्थ, चन्द्रशुक्ल, आवर्तन, रमणक, मन्दहरिण, पांचजन्य , सिंहल और लंका है। श्रीमद्भागवत ्महापुराण/ ५/१९/२९ ३० Follow us: Puranikyatra पुत्रों ने अपने यज्ञ को घोडे़ राजा सगर के को ढूंढते हुए इस को चारों ओर से पृथ्वी खोदा था। उससे जम्बूद्वीप के अंतर्गत ही उपद्वीप और बन गए, ऐसा कुछ आठ लोगों का कथन है। वह स्वर्णप्रस्थ, चन्द्रशुक्ल, आवर्तन, रमणक, मन्दहरिण, पांचजन्य , सिंहल और लंका है। श्रीमद्भागवत ्महापुराण/ ५/१९/२९ ३० Follow us: Puranikyatra - ShareChat
कौन सा अवतार किस देश में हुआ था। भद्राश्ववर्ष मे हयग्रीवसंज्ञक अवतार हुआ। हरिवर्षखण्ड मे भगवान नृसिंह रूप में रहते हैं। केतुमालवर्ष में भगवान कामदेवरूप में निवास करते हैं। रम्यकवर्ष में मत्स्यरूप में निवास करते हैं। हिरण्मयवर्ष में भगवान कच्छपरूप धारण करके रहते हैं। उत्तरकुरुवर्ष में भगवान वराह मूर्ति धारण करके विराजमान हैं। किम्पुरुष वर्ष में भगवान राम का अवतरण हुआ था। भारतवर्ष में नर-नारायण रूप में कल्प के अन्त तक तप करते हैं। श्रीमद्भागवत-महापुराण/५/१९ श्रीमद्भागवत-महापुराण/5/19 #bhavishypuran #vedpuran #puranam #puranikyatra #mbapanditji #upanishads #shrimadbhagwat #shrimadbhagwatkatha #bhagwatkatha #bhagwat #bhagwatkathalive #भागवत #भागवतकथा #श्रीमद्भगवद्गीता #jyotish #MBAPanditJi #Palmistry #astrology #vastu
jyotish - कौन सा अवतार किस देश में हुआ था। भद्राश्ववर्ष मे हयग्रीवसंज्ञक अवतार हुआ। हरिवर्षखण्ड मे भगवान नृसिंह रूप में ~6ెగే గే/ केतुमालवर्ष में भगवान कामदेवरूप में निवास करते हैं। रम्यकवर्ष में मत्स्यरूप में निवास करते हैं। हिरण्मयवर्ष में भगवान कच्छपरूप धारण करके 81 నగెగ उत्तरकुरुवर्ष में भगवान वराह ؟ धारण करके विराजमान हैंl किम्पुरुष वर्ष में भगवान राम का अवतरण हुआ था। भारतवर्ष में नर्नारायण रूप में कल्प के अन्त तक तप करते हैं। श्रीमद्रागवत ्महापुराण/ ५/१९ Follow us: MBAPanditJi कौन सा अवतार किस देश में हुआ था। भद्राश्ववर्ष मे हयग्रीवसंज्ञक अवतार हुआ। हरिवर्षखण्ड मे भगवान नृसिंह रूप में ~6ెగే గే/ केतुमालवर्ष में भगवान कामदेवरूप में निवास करते हैं। रम्यकवर्ष में मत्स्यरूप में निवास करते हैं। हिरण्मयवर्ष में भगवान कच्छपरूप धारण करके 81 నగెగ उत्तरकुरुवर्ष में भगवान वराह ؟ धारण करके विराजमान हैंl किम्पुरुष वर्ष में भगवान राम का अवतरण हुआ था। भारतवर्ष में नर्नारायण रूप में कल्प के अन्त तक तप करते हैं। श्रीमद्रागवत ्महापुराण/ ५/१९ Follow us: MBAPanditJi - ShareChat
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📲मेरा पहला पोस्ट😍 - Nine Mounts on Palm Sat Jup Sun Me Mars ನ್ Mars Mars U క్లై 9 Moon Venus 9 Palmistry Nine Mounts on Palm Sat Jup Sun Me Mars ನ್ Mars Mars U క్లై 9 Moon Venus 9 Palmistry - ShareChat