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#❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #🙏 माँ वैष्णो देवी #माता वैष्णोदेवी #देश भक्ति #🪔जय मां दुर्गा शक्ति,जय माता दी।
❤️Love You ज़िंदगी ❤️ - ऊँ विश्व शांति सत्यमेव जयते अहिंसा जय नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश क्या आपको पता है कर्मभूमि पर आपका सच्चा जीवन साथी कौन है ? कल्कि साधक  फलाग माहन जन्म-्मरण का साथ तुम्हारा , तुम से बढ़कर कौन हमारा ज्ञात रहे एक ईश्वर ही है जो जन्म और मृत्यु के समय आपके भीतर आत्मस्वरूपता में पर जिस कर्मयोगी ने अपने भीतर विद्यमान रहता है कर्मभूमि आत्मस्वरूपता में विद्यमान अपने सच्चे हमसफर को जान लिया वो के लिए मनुष्यरूपी जीवात्मा भगवान बन गया। कर्मभूमि पर जन्म लेने द्वारा प्रकृति के पंचतत्वों से बना मनुष्य रूपी नश्वर भौतिक शरीर धारण किया जाता है।कर्मभूमि पर जन्म लेते ही उस नश्वर भौतिक शरीर से सारे ব্লী ্ধী ही जुड़  संसारी रिश्ते स्वतः जाते है और नश्वर शरीर को त्यागते  रिश्ते मिट जाते है सगुण परब्रह्म स्वरूप मनुष्य रूपी जीवात्मा हैीतर जन्मों जन्मों तक साथ देने वाला मनुष्य रूपी जीवात्मा के आत्मस्वरूपता में विद्यमान निर्गुण परमब्रह्म ही सच्चा हमसफर  है, रूपी  जीवात्मा के भीतर   निर्गुण ತ0 आत्मस्वरूप ೩ ಞu जीवात्मस्वरूप दो स्वरूप में विद्यमान रहता है। जब तक मनुष्य रूपी जीवात्मा  स्वरूप  से   निर्गुण 31qHT आत्मस्वरूप बनकर सगुण आत्मकल्याण नहीं कर लेता | परमब्रह्म उस मनुष्य रूपी जीवात्मा के भीतर आत्मस्वरूप में हमसफर बनकर सदैव साथ रहते है। सगुण जीवात्मा कर्म करता है और निर्गुण आत्मा सगुण जीवात्मा को कर्म करने का ज्ञान देती है। स्वयं के भीतर ईश्वरीय वैभव को जानों अपना मानवजीवन सार्थकबनाओं अधिक जानकारी के लिए Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें ऊँ विश्व शांति सत्यमेव जयते अहिंसा जय नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश क्या आपको पता है कर्मभूमि पर आपका सच्चा जीवन साथी कौन है ? कल्कि साधक  फलाग माहन जन्म-्मरण का साथ तुम्हारा , तुम से बढ़कर कौन हमारा ज्ञात रहे एक ईश्वर ही है जो जन्म और मृत्यु के समय आपके भीतर आत्मस्वरूपता में पर जिस कर्मयोगी ने अपने भीतर विद्यमान रहता है कर्मभूमि आत्मस्वरूपता में विद्यमान अपने सच्चे हमसफर को जान लिया वो के लिए मनुष्यरूपी जीवात्मा भगवान बन गया। कर्मभूमि पर जन्म लेने द्वारा प्रकृति के पंचतत्वों से बना मनुष्य रूपी नश्वर भौतिक शरीर धारण किया जाता है।कर्मभूमि पर जन्म लेते ही उस नश्वर भौतिक शरीर से सारे ব্লী ্ধী ही जुड़  संसारी रिश्ते स्वतः जाते है और नश्वर शरीर को त्यागते  रिश्ते मिट जाते है सगुण परब्रह्म स्वरूप मनुष्य रूपी जीवात्मा हैीतर जन्मों जन्मों तक साथ देने वाला मनुष्य रूपी जीवात्मा के आत्मस्वरूपता में विद्यमान निर्गुण परमब्रह्म ही सच्चा हमसफर  है, रूपी  जीवात्मा के भीतर   निर्गुण ತ0 आत्मस्वरूप ೩ ಞu जीवात्मस्वरूप दो स्वरूप में विद्यमान रहता है। जब तक मनुष्य रूपी जीवात्मा  स्वरूप  से   निर्गुण 31qHT आत्मस्वरूप बनकर सगुण आत्मकल्याण नहीं कर लेता | परमब्रह्म उस मनुष्य रूपी जीवात्मा के भीतर आत्मस्वरूप में हमसफर बनकर सदैव साथ रहते है। सगुण जीवात्मा कर्म करता है और निर्गुण आत्मा सगुण जीवात्मा को कर्म करने का ज्ञान देती है। स्वयं के भीतर ईश्वरीय वैभव को जानों अपना मानवजीवन सार्थकबनाओं अधिक जानकारी के लिए Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें - ShareChat

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