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#❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #माता वैष्णोदेवी #देश भक्ति #🙏 माँ वैष्णो देवी #🪔जय मां दुर्गा शक्ति,जय माता दी।
❤️Love You ज़िंदगी ❤️ - पिता से ना लड़ना ! তিম পিনা ন बचपन से गले ೯೯ लगाकर पाला पोसा उस पिता से ऊँची आवाज मे कभी बात मत करना. को हराने वाला সাহী ತಗಿಾT क्युकी পিনা  अक्सर अपने बच्चो से बिना लड़े हार मान लेता है..!! पिता से ना लड़ना ! তিম পিনা ন बचपन से गले ೯೯ लगाकर पाला पोसा उस पिता से ऊँची आवाज मे कभी बात मत करना. को हराने वाला সাহী ತಗಿಾT क्युकी পিনা  अक्सर अपने बच्चो से बिना लड़े हार मान लेता है..!! - ShareChat
#माता वैष्णोदेवी #देश भक्ति #🙏 माँ वैष्णो देवी #🪔जय मां दुर्गा शक्ति,जय माता दी। #❤️Love You ज़िंदगी ❤️
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#माता वैष्णोदेवी
माता वैष्णोदेवी - कल्कि ज्ञान सागर अहिंसा परमोधर्म मानव सेवा संस्थान बेवकूफ़ बनते रहो रिश्ते बने रहेंगे खिलाफ़ आवाज उठाओगे তিম ঠিল যালন ক লযীঠী Rad टूटने कल्कि साधक कैलाश मोहन अनेकता में एकता हिन्द की विशेषता हिन्द की विशेषता बने विश्व की विशेषता। सबकी सेवा सबसे प्यार।| हम सब एक है सबका स्वामी एक। Bahubali Colony; Banswara, Rajasthan 327001, India kalkigyansagarcom 9602604410 WWW कल्कि ज्ञान सागर अहिंसा परमोधर्म मानव सेवा संस्थान बेवकूफ़ बनते रहो रिश्ते बने रहेंगे खिलाफ़ आवाज उठाओगे তিম ঠিল যালন ক লযীঠী Rad टूटने कल्कि साधक कैलाश मोहन अनेकता में एकता हिन्द की विशेषता हिन्द की विशेषता बने विश्व की विशेषता। सबकी सेवा सबसे प्यार।| हम सब एक है सबका स्वामी एक। Bahubali Colony; Banswara, Rajasthan 327001, India kalkigyansagarcom 9602604410 WWW - ShareChat
#🪔जय मां दुर्गा शक्ति,जय माता दी। #🙏 माँ वैष्णो देवी #देश भक्ति #माता वैष्णोदेवी
🪔जय मां दुर्गा शक्ति,जय माता दी। - ऊँ विश्व शांति सत्यमेव जयते अहिंसा जय नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश {ाम्पूर्ण मानव जगतको 210؟٦٥٨٦١ ईवरव अवतारवादकीधारणाओं प मुक्त करवादेगा। कल्कि साधक  फलाग माहन एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति एक ब्रह्म ही परम सत्य है, उसके जैसा दूसरा न कोई था, न है, नहीं कभी कोई होगा , उस अजन्में , अनामी , अविनाशी लिएमूत् लोकसेसुक्ित क निर्गुण ब्रह्म को विदित किये बिना मानव के लोकसे मुक्ति का और कोई उपाय नहीं है।ज्ञात रहे उस एकही ब्रह्म  निर्गुण स्वरूप व दूसरा उसी से प्रकट हुई उसी की प्रथम परम सत्य महामाया सत-असत सगुण मायावी स्वरूप ।जिस प्रकार सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक निर्गुण परमब्रह्म के अलावा दूसरा कोई नहीं है उसी प्रकार  সম্পুতা में एक নম্মাভ सगुण परब्रह्म के अलावा और कोई दूसरा जीव -्जीवात्मा नहीं है, जड़ और चेतन निर्गुण दिव्य महाशक्ति से ही उत्पन्न हुए है।जो निर्गुण स्वरूप में एक में एक होकर भी है, वही सगुण मायावी स्वरूप सृष्टि के सृजन व विस्तार के लिए अनेक प्रकार के जीव -्जीवात्माओं का हुआ है। मायावी सृष्टि में रूप धारण कर स्वयं कर्ता , भरता , हरता बना  के लोगों के बीच तू और मैं, तेरा-्मेरा महामाया का मानव UTగ शब्द-्लीला रूपी रहस्यमय खेल है। अन्य जीवों की तरह मानव को भी शब्द ज्ञान न होता तो मानव जगत के लोगों के बीच भेदभाव नहीं होता , धर्म के नाम पर जाति -सम्प्रदाय नहीं होते। मानव सुंदर सृष्टि में भ्रमण करने का भरपुर आनंद लेता किसी को मरकर स्वर्ग -्मोक्ष नहीं जाना पड़ता धरती स्वर्ग बन जाती| भेद-भाव को छोड़ो जन-्जन से नाता जोडो़।अपना मानव जीवन सार्थकबनाओं अधिक जानकारी के लिए Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें ऊँ विश्व शांति सत्यमेव जयते अहिंसा जय नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश {ाम्पूर्ण मानव जगतको 210؟٦٥٨٦١ ईवरव अवतारवादकीधारणाओं प मुक्त करवादेगा। कल्कि साधक  फलाग माहन एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति एक ब्रह्म ही परम सत्य है, उसके जैसा दूसरा न कोई था, न है, नहीं कभी कोई होगा , उस अजन्में , अनामी , अविनाशी लिएमूत् लोकसेसुक्ित क निर्गुण ब्रह्म को विदित किये बिना मानव के लोकसे मुक्ति का और कोई उपाय नहीं है।ज्ञात रहे उस एकही ब्रह्म  निर्गुण स्वरूप व दूसरा उसी से प्रकट हुई उसी की प्रथम परम सत्य महामाया सत-असत सगुण मायावी स्वरूप ।जिस प्रकार सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक निर्गुण परमब्रह्म के अलावा दूसरा कोई नहीं है उसी प्रकार  সম্পুতা में एक নম্মাভ सगुण परब्रह्म के अलावा और कोई दूसरा जीव -्जीवात्मा नहीं है, जड़ और चेतन निर्गुण दिव्य महाशक्ति से ही उत्पन्न हुए है।जो निर्गुण स्वरूप में एक में एक होकर भी है, वही सगुण मायावी स्वरूप सृष्टि के सृजन व विस्तार के लिए अनेक प्रकार के जीव -्जीवात्माओं का हुआ है। मायावी सृष्टि में रूप धारण कर स्वयं कर्ता , भरता , हरता बना  के लोगों के बीच तू और मैं, तेरा-्मेरा महामाया का मानव UTగ शब्द-्लीला रूपी रहस्यमय खेल है। अन्य जीवों की तरह मानव को भी शब्द ज्ञान न होता तो मानव जगत के लोगों के बीच भेदभाव नहीं होता , धर्म के नाम पर जाति -सम्प्रदाय नहीं होते। मानव सुंदर सृष्टि में भ्रमण करने का भरपुर आनंद लेता किसी को मरकर स्वर्ग -्मोक्ष नहीं जाना पड़ता धरती स्वर्ग बन जाती| भेद-भाव को छोड़ो जन-्जन से नाता जोडो़।अपना मानव जीवन सार्थकबनाओं अधिक जानकारी के लिए Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें - ShareChat
ईश्वर अजन्मा निर्गुण निष्कलंक निराकार है वो कर्मभूमि पर कभी साकार प्रकट नहीं होता… https://kalkigyansagar.com?p=2131 #🪔जय मां दुर्गा शक्ति,जय माता दी। #❤️Love You ज़िंदगी ❤️ #🙏 माँ वैष्णो देवी #माता वैष्णोदेवी #देश भक्ति
#🙏 माँ वैष्णो देवी #देश भक्ति #माता वैष्णोदेवी #🪔जय मां दुर्गा शक्ति,जय माता दी।
🙏 माँ वैष्णो देवी - ऊँ विश्व शांति सत्यमेव जयते अहिंसा जय नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश जिप्तनिर्गुणदिव्य महशक्त को मानव ईश्वर मानताहै, னிநனாூள ज्ञात रह कल्कि साधक  फलाग माहन अद्भूत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ईश्वरीय ज्ञानानुसार " ब्रह्माण्ड में सम्पूर्ण - अनादिकाल से एक रहस्यमय निराकार निर्गुण दिव्य महाशक्ति विद्यमान है, विज्ञान  ने उसे ऊर्जा माना व वेदों में ब्रह्म माना गया।उस दिव्य महाशक्ति की मनोइच्छा एको इच्छा शक्ति से विशाल ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति होकर उसके इसी अहम बहुस्याम मायावी सगुण स्वरूप का प्राकट्य अर्द्धनारीश्वर के रूप में हुआ, जिसे आध्यात्मिक  प्रभु से प्रकट हुई महामाया व सगुण परब्रह्म कहा गया। जिसके कारण * ज्ञानानुसार एकही दिव्य महाशक्ति के दो स्वरूप , दो चरित्र बन गए।जिस प्रकार सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी निर्गुण परमब्रह्म एक है उसी प्रकार सृष्टि के स्वामी सगुण परब्रह्म सम्पूर्ण  भी एक ही है, एक होकर भी उसके मायावी रूप अनेक है, क्योंकि सृष्टि के f&d লিবা एक परब्रह्म ही सृष्टि में अनेक प्रकार के जीव -जीवात्मा , सृजन व विस्तार के देवी -देवता व मानव का मायावी रूप धारण करते हुए, स्वयं कर्ता , भरता , हरता " हुआ है। कर्मभूमि पर मानव रूपी भौतिक शरीर के भीतर सगुण परब्रह्म बना जीवात्मस्वरूप में कर्मयोगी बनता है व निर्गुण परमब्रह्म आत्मस्वरूपता में परम  गुरूवर बनकर कर्मयोगी को कर्म करने का ज्ञान देते है।मानव तन का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। मानव तन निर्गुण आत्मा व सगुण जीवात्मा के लिए एक रथ के समान है।जिस पर कर्मयोगी अर्जुन रूपी सगुण जीवात्मा सवार है, उस अर्जुन रूपी जीवात्मा के रथ के सारथी कृष्ण रूप में आत्मस्वरूप परम गुरुवर परमब्रह्म है, जो अर्जुन यानी मनुष्यरूपी जीवात्मा को कर्म करने का ज्ञान देते है। महाभारत मानव मात्र के नश्वर भौतिक शरीर के भीतर चल रहा है, मानव को ईश्वर से ज्यादा स्वयंके विराट आत्मस्वरूप को जानने की जरूरत है , जिसने अपने भीतर आत्मा -जीवात्मा , निर्गुण -सगुण के भेदको जाना कर्मभूमि पर उसका मानव जीवन सार्थक हो गया अधिक जानकारी के लिए Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें ऊँ विश्व शांति सत्यमेव जयते अहिंसा जय नवीन विश्व धर्म कल्कि ज्ञान सागर सतयुगी विश्व अहिंसा परमोधर्म का संदेश जिप्तनिर्गुणदिव्य महशक्त को मानव ईश्वर मानताहै, னிநனாூள ज्ञात रह कल्कि साधक  फलाग माहन अद्भूत रहस्यमय सृष्टि सृजन के रहस्यमय ईश्वरीय ज्ञानानुसार " ब्रह्माण्ड में सम्पूर्ण - अनादिकाल से एक रहस्यमय निराकार निर्गुण दिव्य महाशक्ति विद्यमान है, विज्ञान  ने उसे ऊर्जा माना व वेदों में ब्रह्म माना गया।उस दिव्य महाशक्ति की मनोइच्छा एको इच्छा शक्ति से विशाल ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति होकर उसके इसी अहम बहुस्याम मायावी सगुण स्वरूप का प्राकट्य अर्द्धनारीश्वर के रूप में हुआ, जिसे आध्यात्मिक  प्रभु से प्रकट हुई महामाया व सगुण परब्रह्म कहा गया। जिसके कारण * ज्ञानानुसार एकही दिव्य महाशक्ति के दो स्वरूप , दो चरित्र बन गए।जिस प्रकार सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी निर्गुण परमब्रह्म एक है उसी प्रकार सृष्टि के स्वामी सगुण परब्रह्म सम्पूर्ण  भी एक ही है, एक होकर भी उसके मायावी रूप अनेक है, क्योंकि सृष्टि के f&d লিবা एक परब्रह्म ही सृष्टि में अनेक प्रकार के जीव -जीवात्मा , सृजन व विस्तार के देवी -देवता व मानव का मायावी रूप धारण करते हुए, स्वयं कर्ता , भरता , हरता " हुआ है। कर्मभूमि पर मानव रूपी भौतिक शरीर के भीतर सगुण परब्रह्म बना जीवात्मस्वरूप में कर्मयोगी बनता है व निर्गुण परमब्रह्म आत्मस्वरूपता में परम  गुरूवर बनकर कर्मयोगी को कर्म करने का ज्ञान देते है।मानव तन का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। मानव तन निर्गुण आत्मा व सगुण जीवात्मा के लिए एक रथ के समान है।जिस पर कर्मयोगी अर्जुन रूपी सगुण जीवात्मा सवार है, उस अर्जुन रूपी जीवात्मा के रथ के सारथी कृष्ण रूप में आत्मस्वरूप परम गुरुवर परमब्रह्म है, जो अर्जुन यानी मनुष्यरूपी जीवात्मा को कर्म करने का ज्ञान देते है। महाभारत मानव मात्र के नश्वर भौतिक शरीर के भीतर चल रहा है, मानव को ईश्वर से ज्यादा स्वयंके विराट आत्मस्वरूप को जानने की जरूरत है , जिसने अपने भीतर आत्मा -जीवात्मा , निर्गुण -सगुण के भेदको जाना कर्मभूमि पर उसका मानव जीवन सार्थक हो गया अधिक जानकारी के लिए Kalki Gyan Sagar एप डाउनलॉड करें - ShareChat