सरस्वती आवाहन का अर्थ है ज्ञान, कला और बुद्धि की देवी माँ सरस्वती का आह्वान (बुलाना) करना। यह एक अत्यंत पवित्र अनुष्ठान है जो देवी के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
यह मुख्य रूप से नवरात्रि के दौरान, विशेष रूप से अंतिम तीन दिनों में, या बसंत पंचमी के अवसर पर किया जाता है।
सरस्वती आवाहन का महत्व
'आवाहन' शब्द का अर्थ है निमंत्रण देना या पुकारना। इस अनुष्ठान के द्वारा भक्त देवी सरस्वती को अपने पूजा स्थल और जीवन में आमंत्रित करते हैं।
ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति: माँ सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता है। उनका आह्वान करने से एकाग्रता बढ़ती है और अज्ञानता का नाश होता है।
कला और रचनात्मकता में वृद्धि: कलाकार, संगीतकार और लेखक विशेष रूप से देवी का आह्वान करते हैं ताकि उनकी कला और रचनात्मकता को देवी का आशीर्वाद मिल सके।
शुभ शुरुआत: शिक्षा या कला के क्षेत्र में किसी भी नए कार्य को शुरू करने से पहले सरस्वती आवाहन करना शुभ माना जाता है।
प्रमुख सरस्वती मंत्र (आवाहन के लिए)
आवाहन और पूजा के दौरान विभिन्न मंत्रों का जाप किया जाता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण और लोकप्रिय मंत्र दिए गए हैं:
1. सरस्वती वंदना / ध्यान मंत्र (Saraswati Dhyan Mantra)
यह सबसे प्रसिद्ध श्लोक है जिसका उपयोग देवी सरस्वती के सुंदर स्वरूप का ध्यान करने और उनका आह्वान करने के लिए किया जाता है:
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता, या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता, सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
(अर्थ: जो कुंद के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत हैं; जो श्वेत वस्त्रों से ढकी हैं; जिनके हाथों में वीणा सुशोभित है; जो श्वेत कमल के आसन पर विराजमान हैं; जिनकी ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवता हमेशा वंदना करते हैं, वह संपूर्ण जड़ता (अज्ञान) को दूर करने वाली भगवती सरस्वती मेरी रक्षा करें।)
2. सरस्वती बीज मंत्र (Saraswati Beej Mantra)
यह अत्यंत शक्तिशाली और सरल मंत्र है, जिसका जाप करना बहुत फलदायक माना जाता है: ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः। (Om Aim Saraswatyai Namah)
3. सरस्वती गायत्री मंत्र (Saraswati Gayatri Mantra)
ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
(अर्थ: हम वाग्देवी को जानते हैं और कामराज का ध्यान करते हैं, वह देवी हमें प्रेरित करें।)
आवाहन की सामान्य विधि
शुद्धि और तैयारी: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ करें और माँ सरस्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
कलश स्थापना: यदि संभव हो, तो एक कलश में जल भरकर, उस पर आम के पत्ते और नारियल रखकर स्थापित करें।
संकल्प: हाथ में फूल, चावल (अक्षत) और जल लेकर, पूजा का उद्देश्य बोलते हुए (जैसे ज्ञान, कला या परीक्षा में सफलता के लिए) संकल्प लें।
आवाहन: देवी को आमंत्रित करने के लिए ऊपर दिए गए ध्यान मंत्र या अन्य आवाहन मंत्रों का जाप करें।
प्रतिष्ठापन: हाथ में अक्षत लेकर इस मंत्र को बोलें और अक्षत देवी के चरणों में अर्पित करें: ॐ भूर्भुवः स्वः सरस्वती देव्यै इहागच्छ इह तिष्ठ।
पूजन: देवी को फूल (विशेषकर सफेद या पीले), चंदन, कुमकुम, धूप, दीप और सफेद रंग की मिठाई (जैसे खीर) या फल अर्पित करें। अपनी किताबें, वाद्य यंत्र और अध्ययन सामग्री भी देवी के सामने रखें।
मंत्र जाप: अपनी श्रद्धा और समय के अनुसार सरस्वती मंत्रों का जाप करें।
आरती और क्षमा प्रार्थना: अंत में माँ सरस्वती की आरती करें और पूजा में हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा माँगें। #सरस्वती आवाहन #🗞️29 सितंबर के अपडेट 🔴 #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #🗞breaking news🗞 #aaj ki taaja khabar
