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#भगवद गीता के सभी श्लोक ##भगवद गीता🙏🕉️ #भगवद गीता #🚩🔯श्रीमद भगवद गीता🔯🚩 #भगवद गीता अध्यन 📖
भगवद गीता के सभी श्लोक - श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः | अजो नित्यः शाश्वतोउ्यं पुराणो - हन्यमाने शरीरे ।। چ٠ 7 यह आत्मा किसी कालमें भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न यह उत्पन्न होकर फिर होनेवाला ही है; क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है; शरीरके मारे जानेपर भी यह नहीं मारा जाता II २० |l वेदाविनाशिनं   नित्यं 7 एनमजमव्ययम्| कथं स पुरुषः पार्थ कं घातयति हन्ति कम्I।  हे पृथापुत्र अर्जुन ! जो पुरुष इस आत्माको नाशरहित पुरुष कैसे नित्य, अजन्मा और अव्यय जानता है, वह किसको मरवाता है और कैसे किसको मारता है ? II २१ II वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि   गृह्णाति नरोउ्पराणि | तथा शरीराणि विहाय जीर्णा - न्यन्यानि संयाति नवानि देही ।। जैसे मनुष्य 7 वस्त्रोंको त्यागकर दूसरे पुराने वस्त्रोंको ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरोंको  नये शरीरोँको प्राप्त होता है Il २२ Il दूसरे त्यागकर गोरखपुर गीता प्रेस , से साभार श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः | अजो नित्यः शाश्वतोउ्यं पुराणो - हन्यमाने शरीरे ।। چ٠ 7 यह आत्मा किसी कालमें भी न तो जन्मता है और न मरता ही है तथा न यह उत्पन्न होकर फिर होनेवाला ही है; क्योंकि यह अजन्मा, नित्य, सनातन और पुरातन है; शरीरके मारे जानेपर भी यह नहीं मारा जाता II २० |l वेदाविनाशिनं   नित्यं 7 एनमजमव्ययम्| कथं स पुरुषः पार्थ कं घातयति हन्ति कम्I।  हे पृथापुत्र अर्जुन ! जो पुरुष इस आत्माको नाशरहित पुरुष कैसे नित्य, अजन्मा और अव्यय जानता है, वह किसको मरवाता है और कैसे किसको मारता है ? II २१ II वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि   गृह्णाति नरोउ्पराणि | तथा शरीराणि विहाय जीर्णा - न्यन्यानि संयाति नवानि देही ।। जैसे मनुष्य 7 वस्त्रोंको त्यागकर दूसरे पुराने वस्त्रोंको ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरोंको  नये शरीरोँको प्राप्त होता है Il २२ Il दूसरे त्यागकर गोरखपुर गीता प्रेस , से साभार - ShareChat

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