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#जय श्री राम रावण-कुंभकर्ण से भी महान योद्धा: लक्ष्मण की शक्ति का अदभुत रहस्य!] क्या आप जानते हैं कि लंका युद्ध में सबसे कठिन वध रावण या कुंभकर्ण का नहीं, बल्कि मेघनाद (इंद्रजीत) का था? और उसे हराने वाले लक्ष्मण जी की वास्तविक शक्ति का स्रोत क्या था? 14 वर्षों के वनवास के बाद जब प्रभु श्रीराम अयोध्या लौटे, तो अगस्त्य ऋषि ने एक चौंकाने वाला सत्य उजागर किया। उन्होंने कहा कि लक्ष्मण ही सबसे महान योद्धा हैं क्योंकि उन्होंने इंद्रजीत का वध किया है, जो देवताओं को भी परास्त कर चुका था। इंद्रजीत की मृत्यु का वरदान और लक्ष्मण का तप: इंद्रजीत को वरदान था कि उसका वध केवल वही कर सकता है जिसने: 12 वर्षों तक नींद न ली हो। 12 वर्षों तक किसी पराई स्त्री का मुख न देखा हो। 12 वर्षों तक अन्न ग्रहण न किया हो। प्रभु श्रीराम स्वयं यह जानकर आश्चर्यचकित रह गए। जब लक्ष्मण जी से पूछा गया, तो उनके उत्तर ने सभी को भावुक कर दिया: निद्रा का त्याग: "भैया, जब आप और माता सीता विश्राम करते थे, मैं पूरी रात पहरा देता था। नींद न आए, इसलिए मैंने अपनी आँखों को अपने ही तीरों की नोक पर टिका लिया था।" स्त्री मुख का दर्शन नहीं: "मैंने कभी माता सीता के चरणों से ऊपर दृष्टि ही नहीं उठाई। इसलिए जब सुग्रीव ने आभूषण दिखाए, तो मैं केवल उनके नूपुर (पायल) ही पहचान सका।" अन्न का त्याग: "वनवास में आप मुझे फल देकर कहते थे, 'लक्ष्मण, इसे रख लो'। आपने कभी 'खा लो' नहीं कहा। आपकी आज्ञा के बिना मैं उसे कैसे ग्रहण करता?" लक्ष्मण जी का यह उत्तर सुनकर प्रभु श्रीराम की आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने अपने अनुज को गले लगा लिया। सार: लक्ष्मण जी की शक्ति केवल उनके शस्त्रों में नहीं, बल्कि उनके अभूतपूर्व त्याग, अटूट भक्ति और कर्तव्यनिष्ठा में थी। इन्हीं कठोर व्रतों के कारण वे उस अजेय योद्धा का वध कर सके। ऐसी भ्रातृ-भक्ति और त्याग को हमारा शत-शत नमन! 🙏
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