धनु संक्रांति
सूर्य की किसी भी राशि में गोचर या भ्रमण को संक्रांति कहते हैं। इस तरह वर्ष में 12 संक्रांति होती है। इसमें मकर और कर्क संक्रांति का ज्यादा महत्व माना गया है। सूर्य का वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश होगा। आओ जानते हैं कि किसे कहते हैं। ज्योतिष के अनुनसार जब भी सूर्यदेव गुरु की राशि धनु या मीन में विराजमान होते हैं तो उस समय को खरमास कहा जाता है। खरमास में किसी भी तरह का कोई मांगलिक कार्य जैसे विवाह, यज्ञोपवित, गृह प्रवेश, मकान निर्माण, नया व्यापार या किसी भी तरह का कोई भी संस्कार नहीं करते हैं। उल्लेखनीय है कि खर का अर्थ होता है गधा अर्थात सूर्यदेव की इस समय गति धीमी हो जाती है। महत्व : यह कहा जाता है कि धनु राशि में सूर्य के आ जाने से मौसम में परिवर्तन हो जाता है और देश के कुछ हिस्सों में बारिश होने के कारण ठंड भी बढ़ सकती है। इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह दिन बेहद ही पवित्र होता है ऐसे में जो कोई इंसान इस दिन विधिवत पूजा करते हैं उनके जीवन के सभी कष्ट अवश्य दूर होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाते हैं। भगवान सत्यनारायण की षोडष पूजा करें। पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो भगवान का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भगवान का भजन व पूजन करते हैं।
#शुभ कामनाएँ 🙏


