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शेर मशकूर कन्नौजी #✒ शायरी
✒ शायरी - "शेर" पलट करफिर से आंखों में कोई मंज़र नही आता जो लम्हा बीत जाता है कभी मुड़कर नहीं आता ज़रा सी देर में यारो बदल जाती हैं तक़दीरें वक्त आता है कभी कह बुरा जो i कर नहीं आता मशकूर कन्नौजी मेहता सुशील "शेर" पलट करफिर से आंखों में कोई मंज़र नही आता जो लम्हा बीत जाता है कभी मुड़कर नहीं आता ज़रा सी देर में यारो बदल जाती हैं तक़दीरें वक्त आता है कभी कह बुरा जो i कर नहीं आता मशकूर कन्नौजी मेहता सुशील - ShareChat