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#✒ गुलज़ार की शायरी 🖤
✒ गुलज़ार की शायरी 🖤 - बेदखल किया था कुछ ख्वाहिशों को जिंदगी से, कमबख्त जरूरतें बन कर गले से ही लिपट गयीं..!! बेदखल किया था कुछ ख्वाहिशों को जिंदगी से, कमबख्त जरूरतें बन कर गले से ही लिपट गयीं..!! - ShareChat