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#🕌 मक्का मदीना 🤲 #🕋जुम्मा मुबारक🤲 #🕋❀◕❀मेरा प्यारा इस्लाम❀◕❀🕋 #🕋सुन्नी इस्लामिक ग्रुप🕋 #🤲इस्लाम की प्यारी बातें
🕌 मक्का मदीना 🤲 - रौज़ा दैखों आका का हाजियो ! आओ, शहंशाह का रौज़ा देखो का॰बा तो देख चुके का॰बे का का॰बा देखो रुक्न-ए-शामी से मिटी वहशत-ए-शाम-ए-ग़ुर्बत सुब्ह-ए-दिल-्आरा देखो  अब मदीने को चलो आब-ए-ज़मज़म तो पिया, खूब बुझाईं प्यासें आओ, जूद-ए-शह-ए-कौसर का भी दरिया देखो ज़ेर-ए-मीज़ाब मिले खूब करम के छींटे अब्र॰ए-रहमत का यहाँ ज़ोर-ए-बरसना देखो आँखों से लगाया है ग़िलाफ़ ए-का॰बा I@6 क़स्र-ए-महबूब के पर्दे का भी जल्वा देखो  ज़ीनत ए-का बा में था लाख अरूसों का बनाव जल्वा फ़रमा यहाँ कौनैन का दूल्हा देखो बे-नियाज़ी से वहाँ काँपती पाई ताअत जोश-ए -रहमत पे यहाँ नाज़ गुनह का देखो धो चुका जुल्मत ए-दिल बोसा ए-संग-ए-अस्वद ख़ाक बोसी-ए-मदीना का भी रुत्बा देखो रौज़ा दैखों आका का हाजियो ! आओ, शहंशाह का रौज़ा देखो का॰बा तो देख चुके का॰बे का का॰बा देखो रुक्न-ए-शामी से मिटी वहशत-ए-शाम-ए-ग़ुर्बत सुब्ह-ए-दिल-्आरा देखो  अब मदीने को चलो आब-ए-ज़मज़म तो पिया, खूब बुझाईं प्यासें आओ, जूद-ए-शह-ए-कौसर का भी दरिया देखो ज़ेर-ए-मीज़ाब मिले खूब करम के छींटे अब्र॰ए-रहमत का यहाँ ज़ोर-ए-बरसना देखो आँखों से लगाया है ग़िलाफ़ ए-का॰बा I@6 क़स्र-ए-महबूब के पर्दे का भी जल्वा देखो  ज़ीनत ए-का बा में था लाख अरूसों का बनाव जल्वा फ़रमा यहाँ कौनैन का दूल्हा देखो बे-नियाज़ी से वहाँ काँपती पाई ताअत जोश-ए -रहमत पे यहाँ नाज़ गुनह का देखो धो चुका जुल्मत ए-दिल बोसा ए-संग-ए-अस्वद ख़ाक बोसी-ए-मदीना का भी रुत्बा देखो - ShareChat