ShareChat
click to see wallet page
search
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्। यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्।।8.13।। जो पुरुष 'ओम् इति' - ओम् इतना ही, जो अक्षय ब्रह्म का परिचायक है, इसका जप तथा मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग कर जाता है, वह पुरुष परमगति को प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवद्गीता: यथार्थ गीता/८/१३ स्वामी अड़गड़ानन्द जी #MBAPanditJi #PuranikYatra
MBAPanditJi - ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्। प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्। । यः 8.13// ओम्  जो पुरुष ' ओम् इति' इतना ही, जो अक्षय ब्रह्म का परिचायक है, इसका जप तथा मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग कर जाता है, वह पुरुष परमगति को प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवद्नीताः यथार्थ गीता| ८/१३ स्वामी अड़गड़ानन्द जी Follow us: Puranikyatra ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्। प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमां गतिम्। । यः 8.13// ओम्  जो पुरुष ' ओम् इति' इतना ही, जो अक्षय ब्रह्म का परिचायक है, इसका जप तथा मेरा स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग कर जाता है, वह पुरुष परमगति को प्राप्त होता है। श्रीमद्भगवद्नीताः यथार्थ गीता| ८/१३ स्वामी अड़गड़ानन्द जी Follow us: Puranikyatra - ShareChat