अन्नपूर्णा जयंती
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को भगवान विष्णु की पूजा का विधान है, वहीं इस दिन अन्नपूर्णा जयंती भी मनाई जाती है. मान्यता है कि इस दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर में कभी भी खाने-पीने की कोई कमी नहीं रहती है. घर हमेशा सुख संपत्ति से भरा रहता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पृथ्वी पर सूखा पड़ गया. जमीन बंजर हो गई. फसलें, फलों आदि की पैदावार ना होने से जीवन का संकट आ गया. तब भगवान शिव ने पृथ्वीवासियों के कल्याण के लिए भिक्षुक का स्वरूप धारण किया और माता पार्वती ने मां अन्नपूर्णा का अवतार लिया. इसके बाद भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा से भिक्षा में अन्न मांगा. इस अन्न को लेकर भगवान शिव पृथ्वी लोक पर गए और सभी प्राणियों में इसे बांट दिया. इसके बाद धरती पर एक बार फिर से धन-धान्य हो गया. इसी के बाद से ही मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाने के विधान की शुरुआत हुई। इस दिन खासकर हमें अन्न का अनादर नहीं करना चाहिए. इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि इस दिन रसोईघर, गैस, चूल्हे, आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती और घर पर हमेशा अन्नपूर्णा देवी की कृपा बनी रहती है. अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है और इस दिन खासकर दान पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन घर की महिलाएं चूल्हे पर चावल और मिठाई का प्रसाद बना कर घी का दीपक जलाती हैं. अन्नपूर्णा जयंती के दिन बिना नमक का भोजन ग्रहण करना चाहिए। #शुभ कामनाएँ 🙏


