ShareChat
click to see wallet page
search
#आज जिनकी पुण्यतिथि है
आज जिनकी पुण्यतिथि है - पुण्यतिथि है श्रद्धासुमन आज जिनकी केदारेश्वर सेन गुप्ता (अंग्रेज़ीः Kedareshwar Sen Gupta, जन्मः केरल के गांधी दिसंबर, १८९४ - मृत्युः ७ अक्टूबर, १९६१) एक क्रांतिकारी व्यक्ति थे। के केलप्पन जीवन परिचय   केदारेश्वर सेनगुप्ता ಕ ಠ केदारेश्वर विद्यार्थी जीवन में ही वे ' अनुशीलन समिति के नेता पुलिन  बिहारी दास के संपर्क में आए और शीघ्र ही उनकी गणना क्रांतिकारी  दल के प्रमुख व्यक्तियों में होने लगी। शचीन्द्र सान्याल उस समय उत्तर  प्रदेश में क्रांतिकारियों के नेता थे। उनकी गिरफ्तारी और रास बिहारी > बोस के जापान चले जाने के बाद केदारेश्वर को पार्टी को संगठित శ हिन्दू करने के लिए वाराणसी भेजा गया। उन्होंने वाराणसी सेंट्रल  कॉलेज में प्रवेश लिया पर शीघ्र ही पुलिस उनके पीछे लग गई इसलिए वे बंगाल वापस चले गए। वहाँ भी उन्होंने फरार रहकर ही दल का काम आरंभ किया। १९१ ७ में वे पुलिस की पकड़ में आ गए ओर  १९१9 तक हज़ारीबाग़ जेल में बंद रहे।  ক্িনু . जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने रुई का व्यापार आरंभ किया। इससे जो लाभ होता उसे क्रांतिकारी दल के कामों में लगाते रहे क्योंकि उन्होंने अपना सर्वस्व देश को ही समर्पित कर दिया था। व्यापार के सिलसिले में मुंबई गए थे कि फिर गिरफ्तार करके बंगाल  के बरहांगपुर जेल में डाल दिए गए। वहाँ जेल कर्मचारियों के  दुर्व्यवहार के विरोध में उन्होंने लंबी भूख हड़ताल की और इससे बिगड़े  100 स्वास्थ्य के कारण उन्हें क्षय रोग ने जकड़ लिया। गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए जेल से छोड़कर उन्हें घर पर ही नजरबंद कर दिया गया।  छूटे तो १९४१ से १९४६ तक फिर जेल में डाल दिए कुछ समय बाद 1990 गए। बाद में वे पूर्वी बंगाल से कोलकाता आ गए थे। स्वतंत्रता के बाद उन्होंने क्रांतिकारियों के स्वप्न साकार के उद्देश्य से ' अनुशीलन भवन  7 3&<1971 की स्थापना की। पुण्यतिथि है श्रद्धासुमन आज जिनकी केदारेश्वर सेन गुप्ता (अंग्रेज़ीः Kedareshwar Sen Gupta, जन्मः केरल के गांधी दिसंबर, १८९४ - मृत्युः ७ अक्टूबर, १९६१) एक क्रांतिकारी व्यक्ति थे। के केलप्पन जीवन परिचय   केदारेश्वर सेनगुप्ता ಕ ಠ केदारेश्वर विद्यार्थी जीवन में ही वे ' अनुशीलन समिति के नेता पुलिन  बिहारी दास के संपर्क में आए और शीघ्र ही उनकी गणना क्रांतिकारी  दल के प्रमुख व्यक्तियों में होने लगी। शचीन्द्र सान्याल उस समय उत्तर  प्रदेश में क्रांतिकारियों के नेता थे। उनकी गिरफ्तारी और रास बिहारी > बोस के जापान चले जाने के बाद केदारेश्वर को पार्टी को संगठित శ हिन्दू करने के लिए वाराणसी भेजा गया। उन्होंने वाराणसी सेंट्रल  कॉलेज में प्रवेश लिया पर शीघ्र ही पुलिस उनके पीछे लग गई इसलिए वे बंगाल वापस चले गए। वहाँ भी उन्होंने फरार रहकर ही दल का काम आरंभ किया। १९१ ७ में वे पुलिस की पकड़ में आ गए ओर  १९१9 तक हज़ारीबाग़ जेल में बंद रहे।  ক্িনু . जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने रुई का व्यापार आरंभ किया। इससे जो लाभ होता उसे क्रांतिकारी दल के कामों में लगाते रहे क्योंकि उन्होंने अपना सर्वस्व देश को ही समर्पित कर दिया था। व्यापार के सिलसिले में मुंबई गए थे कि फिर गिरफ्तार करके बंगाल  के बरहांगपुर जेल में डाल दिए गए। वहाँ जेल कर्मचारियों के  दुर्व्यवहार के विरोध में उन्होंने लंबी भूख हड़ताल की और इससे बिगड़े  100 स्वास्थ्य के कारण उन्हें क्षय रोग ने जकड़ लिया। गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए जेल से छोड़कर उन्हें घर पर ही नजरबंद कर दिया गया।  छूटे तो १९४१ से १९४६ तक फिर जेल में डाल दिए कुछ समय बाद 1990 गए। बाद में वे पूर्वी बंगाल से कोलकाता आ गए थे। स्वतंत्रता के बाद उन्होंने क्रांतिकारियों के स्वप्न साकार के उद्देश्य से ' अनुशीलन भवन  7 3&<1971 की स्थापना की। - ShareChat