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#गायत्री मंत्र #गायत्री मंत्र #गायत्री #गायत्री परिवार
गायत्री मंत्र - 0 गीयत्री हीप्राण है छन्दग्योपनिषद अतः वही समस्त विश्व में व्याप्त है इस प्राण में ही समस्त देवता सन्निहित हैं। यह प्राण रुप गायत्री ही जगत की आत्मा है वाणी नेत्र आदि समस्त इन्द्रियों में समा- विष्ढ प्राण की संरक्षक होने के कारण उसे गायत्री कहते हैं। जो गायत्री उपासना करता है वह विद्वान , प्राणवान , दीर्घजीवी यशस्वी, संपन्न महामानवी वनता  उदार और 0 गीयत्री हीप्राण है छन्दग्योपनिषद अतः वही समस्त विश्व में व्याप्त है इस प्राण में ही समस्त देवता सन्निहित हैं। यह प्राण रुप गायत्री ही जगत की आत्मा है वाणी नेत्र आदि समस्त इन्द्रियों में समा- विष्ढ प्राण की संरक्षक होने के कारण उसे गायत्री कहते हैं। जो गायत्री उपासना करता है वह विद्वान , प्राणवान , दीर्घजीवी यशस्वी, संपन्न महामानवी वनता  उदार और - ShareChat