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#🖋ग़ालिब की शायरी
🖋ग़ालिब की शायरी - वो शख़्स मेरी रग रग से वाक़िफ 5776,1 कि उसी रग पर हाथ रखता है जो बहुत है, | दुखती 1 वो शख़्स मेरी रग रग से वाक़िफ 5776,1 कि उसी रग पर हाथ रखता है जो बहुत है, | दुखती 1 - ShareChat