ShareChat
click to see wallet page
search
#गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला गीता अध्याय 4 श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन! मेरे जन्म और कर्म दिव्य हैं। भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके कार्य करता है। जैसे श्री कृष्ण जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि मैं महाभारत के युद्ध में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नहीं उठाऊँगा। श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला। पाप श्री कृष्ण जी के जिम्मे कर दिए। प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज Sant RampalJi YT Channel
गीताजी_का_ज्ञान_किसने_बोला - का श्लोक 9 अध्याय कर्मचमे दिव्यम एवम यः चेत्ति तत्वतः  +_` त्यक्त्मा, देहम पुनः जन्म न एति माम एति सः अर्जुन।।  अनुवादः ( अर्जुन) हे अर्जुन। (मे) मेरे (जन्म) जन्ग (च) ओर (कर्म) कर्म (दिव्यम) दिच्य अर्थान् अलोकिक ह (ित्ति) M t [েনেস] গ্রম  (42) ` (ಪrr:) নেন  पफान लता हे।सः ) बढ देढम शरारका (त्यकचा) त्यागकर (पुनः) फिर ( जन्म। जन्मको (नएति) प्राप्नत नहा होना किनु লী মুভা কাল ক্রী নন नर्ही जानते ।माम) नुडो ही।एति) प्राप्त तोता हे। (९)  =1: अर्जुन। मैरे जन्म और कर्म दिव्य अर्थात् अलीकिक  डस प्रकारजो मनुष्प तत्वसे जान लता ह बह शरीरको त्यागकर फिर जन्मको पराप्त नती ठोता कितु जो मुझ काल को तत्व स नही जानत गुझ ही प्राप्त होता ह गीता जी का ज्ञान किसने बोला ? श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन मेरे जन्म और कर्म गीता अध्याय दिव्य हैं भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके श्री कृष्ण " कार्य करता है जैसे जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी के युद्ध कि मैं महाभारत में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नही उठाऊँगा | श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया श्री कृष्ण " जी के जिम्मे कर दिए उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला पाप प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। संत रामपाल जी महाराज तत्वदर्शी जगतगुरु निःशुल्क  ப4 पवित्र पुस्तक अपना नाम, पूरा पता भेजें  5777 +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ का श्लोक 9 अध्याय कर्मचमे दिव्यम एवम यः चेत्ति तत्वतः  +_` त्यक्त्मा, देहम पुनः जन्म न एति माम एति सः अर्जुन।।  अनुवादः ( अर्जुन) हे अर्जुन। (मे) मेरे (जन्म) जन्ग (च) ओर (कर्म) कर्म (दिव्यम) दिच्य अर्थान् अलोकिक ह (ित्ति) M t [েনেস] গ্রম  (42) ` (ಪrr:) নেন  पफान लता हे।सः ) बढ देढम शरारका (त्यकचा) त्यागकर (पुनः) फिर ( जन्म। जन्मको (नएति) प्राप्नत नहा होना किनु লী মুভা কাল ক্রী নন नर्ही जानते ।माम) नुडो ही।एति) प्राप्त तोता हे। (९)  =1: अर्जुन। मैरे जन्म और कर्म दिव्य अर्थात् अलीकिक  डस प्रकारजो मनुष्प तत्वसे जान लता ह बह शरीरको त्यागकर फिर जन्मको पराप्त नती ठोता कितु जो मुझ काल को तत्व स नही जानत गुझ ही प्राप्त होता ह गीता जी का ज्ञान किसने बोला ? श्लोक 9 में कहा है कि हे अर्जुन मेरे जन्म और कर्म गीता अध्याय दिव्य हैं भावार्थ है कि काल ब्रह्म अन्य के शरीर में प्रवेश करके श्री कृष्ण " कार्य करता है जैसे जी ने प्रतिज्ञा कर रखी थी के युद्ध कि मैं महाभारत में किसी को मारने के लिए शस्त्र भी नही उठाऊँगा | श्री कृष्ण में काल ब्रह्म ने प्रवेश होकर रथ का पहिया श्री कृष्ण " जी के जिम्मे कर दिए उठाकर अनेकों सैनिकों को मार डाला पाप प्रतिज्ञा भी समाप्त करके कलंकित किया। संत रामपाल जी महाराज तत्वदर्शी जगतगुरु निःशुल्क  ப4 पवित्र पुस्तक अपना नाम, पूरा पता भेजें  5777 +91 7496801823 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL Jl @SAINTRAMPALJIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL Jl MAHARAJ - ShareChat