#स्कंदमाता
🪷 || माँ स्कंदमाता नमोऽस्तुते || 🪷
माँ स्कंदमाता का स्वरूप कल्याणकारी एवं अति प्रेरणा दायक है। नवरात्रि के पांचवे दिन माँ स्कन्दमाता की आराधना की जाती है। कार्तिकेय जी को ही स्कन्द जी के नाम से जाना जाता है इसी कारण माँ को स्कन्दमाता भी कहा जाता है। कार्तिकेय जी को पुरुषार्थ का स्वरूप बताया गया है।
निरंतर अपने कर्म में संलग्न रहने वाला मनुष्य ही जीवन में ऊंचाइयों को प्राप्त करता है व प्रत्येक ऐच्छिक वस्तु उसे प्राप्त हो जाती है। माँ हिंसक सिंह पर सवार रहती हैं, इसका अर्थ ही यही है, कि उन्होनें चुनौतियों से मुख मोड़ा नहीं, अपितु उन्हें स्वीकार करते हुए परास्त भी किया है।
चुनौतियाँ केवल बाहुबल के दम पर नहीं अपितु आत्मबल के दम पर जीती जाती हैं। आत्मबल के धनी समस्या रुपी शेर की सवारी करते हैं अर्थात समस्या को अपने अनुकूल बना लेते हैं तो वहीं कमजोर लोग समस्या का शिकार हो जाते हैं। पुरुषार्थ के लिए प्रेरित करने वाले माँ के इस स्वरूप को वंदन करते हैं।
जय माता दी
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