विवाह पंचमी
विवाह पंचमी को देवी सीता और भगवान राम के विवाह की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि इस दिन उनकी शादी हुई थी। विवाह पंचमी हिंदू माह मार्गशीर्ष में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन आती है। किसी भी हिंदू विवाह के समान, इस दिन की रस्में और समारोह कई दिनों पहले शुरू हो जाते हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं और शास्त्रों के अनुसार, विवाह पंचमी का बहुत महत्व है क्योंकि इसे एक शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम (जोकि भगवान विष्णु के अवतार हैं) जिन्होंने नेपाल में जनकपुरधाम की यात्रा की और देवी सीता के स्वयंवर में भगवान शिव के धनुष को तोड़ दिया और देवी सीता से विवाह किया।
इस दिव्य विवाह समारोह की याद में, भारत और अन्य देशों के कई हिस्सों से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री यहाँ पहुँचते हैं और भव्य समारोहों का हिस्सा बनते हैं। माता जानकी मिथिलांचल से ताल्लुक रखती थीं। राजा जनक की पुत्री सीता की शादी अयोध्या नरेश दशरथ के बड़े बेटे राम के साथ हुई। सीता का स्वयंवर विवाह पंचमी के दिन ही हुआ था। विवाह पश्चात राम को 14 साल के लिए वनवास जाना पड़ा, उनके साथ सीता व छोटे भाई लक्ष्मण भी गए।अपने जीवन काल में सीता को कई परेशानियां झेलनी पड़ी थीं। सिर्फ इतना ही नहीं, गर्भावस्था के दौरान माता सीता को भगवान राम ने त्याग दिया था। यही कारण है कि राम विवाहोत्सव के दिन लोग खासकर कन्या पक्ष के लोग शादी नहीं कराना चाहते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार विवाह पंचमी के दिन जो लोग व्रत रखते हैं, उनका वैवाहिक जीवन मधुरता के साथ गुजरता है। जिन दंपति के बीच खटास पैदा हो रही है, अगर इस दिन वो विधि-विधान से पूजा करेंगे तो उनके बीच का मतभेद कम होगा। भगवान राम और माता सीता को साथ में पूजने से विवाह आ रही अड़चनें समाप्त होने की मान्यता है। #शुभ कामनाएँ 🙏


