विभीषण प्रभु श्री राम की शरण में जाते हुए मन में मनोरथ कर रहा है कि मैं अब धन्यभागी हूँ क्योंकि अब मुझे प्रभु के उन चरणों के दर्शन मिलेंगे जो माया मृग के पीछा करते हुए धरती पर दौड़े थे और जिनको माता जानकी ने अपने हृदय में धारण कर रखा है, जिन चरणों को भगवान शंकर ने अपने हृदय के पावन सरोवर में स्थापित कर रखा है।
।। राम राम जी।।
##सुंदरकांड पाठ चौपाई📙🚩