राधा - कृष्ण
राधा -
र - रमा (श्री )
अ- गोपी (लीला )
ध- धरा (भू)
अ - विरजा नदी
अर्थात् परमात्मा भगवान् श्रीकृष्ण का तेज चार रुपोँ मे विभक्त हुआ, लीला, भू, श्री, विरजा ये चार पत्नियाँ ही कृष्ण का चतुर्विध तेज है, ये सभी श्रीराधिकाजी के श्रीविग्रह में लीन हो गयीं, इसीलिए विद्वतजन श्री राधा जी को परिपूर्णतमा कहते हैं।
कृष्ण --
क - कमलाकान्त
ऋ - राम
ष - षड्विध ऐश्वर्य के स्वामी श्वेतद्वीप निवासी भगवान
विष्णु
ण - नरसिंह
अ - अग्निभुक् (अग्निदेव के रक्षक)
बिन्दु (:) - नर-नारायण
ये छहों तत्त्व जिस महामन्त्र रुप परिपूर्णतम शब्द में लीन है, वह इसी व्युत्पत्ति के कारण कृष्ण कहा गया है, जो मनुष्य बारंबार "राधाकृष्ण "के पावन नाम का उच्चारण करता है, उसे साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण सुलभ हो जाते हैं।
#राधे कृष्ण


