याद तुम्हारी जब-जब आई,
पीड़ा का विस्तार हुआ है।
हृद कोमल के मृदु भावों का,
आँसू से श्रृंगार हुआ है ।
एक तुम्हारे लिए सभी व्रत,
निर्जल रह-रह उपवास रखा।
दो से एक किसी दिन होंगे,
उस ईश्वर पर विश्वास रखा।
मन्नत माँगी, पुष्प चढ़ाया
पर कुछ ना स्वीकार हुआ है।
प्रेम अधूरा रह जाता है,
हो जाती है मांग सिंदूरी।
हार सभी वादे जाते हैं,
और जीत जाती मजबूरी।
चाहा खुशियों का संबल पर,
पीड़ा पर अधिकार हुआ है।
💙💚💛🩷
#❤️Love You ज़िंदगी ❤️