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#☝ मेरे विचार #🙏 प्रेरणादायक विचार #📖जीवन का लक्ष्य🤔 ##भगवद गीता🙏🕉️ #❤️जीवन की सीख
☝ मेरे विचार - निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी या यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः II सम्पूर्ण प्राणियोंके लिये जो रात्रिके समान है, उस नित्य ज्ञानस्वरूप परमानन्दकी प्राप्तिमें स्थितप्रज्ञ योगी जागता है और जिस नाशवान् सांसारिक प्राप्तिमें सब प्राणी जागते हैँ, परमात्माके ಔತಾ तत्त्वको   जाननेवाले रात्रिके लिये সুনিক্ধ वह মসান ইঁ Il ৪8 Il आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं प्रविशन्ति समुद्रमापः 4&7/ यं प्रविशन्ति सर्वे तद्वत्कामा स शान्तिमाजोति न कामकामी ।। जैसे नाना नदियोंके जल सब ओरसे परिपूर्ण उसको विचलित न अचल प्रतिष्ठावाले TSFH करते हुए ही समा जाते हैं वैसे ही सब भोग जिस स्थितप्रज्ञ किसी प्रकारका विकार उत्पन्न पुरुषमें किये बिना ही समा जाते हैं, वही पुरुष परमशान्तिको प्राप्त होता है, भोगोंको चाहनेवाला नहीं Il ७० Il श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी या यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः II सम्पूर्ण प्राणियोंके लिये जो रात्रिके समान है, उस नित्य ज्ञानस्वरूप परमानन्दकी प्राप्तिमें स्थितप्रज्ञ योगी जागता है और जिस नाशवान् सांसारिक प्राप्तिमें सब प्राणी जागते हैँ, परमात्माके ಔತಾ तत्त्वको   जाननेवाले रात्रिके लिये সুনিক্ধ वह মসান ইঁ Il ৪8 Il आपूर्यमाणमचलप्रतिष्ठं प्रविशन्ति समुद्रमापः 4&7/ यं प्रविशन्ति सर्वे तद्वत्कामा स शान्तिमाजोति न कामकामी ।। जैसे नाना नदियोंके जल सब ओरसे परिपूर्ण उसको विचलित न अचल प्रतिष्ठावाले TSFH करते हुए ही समा जाते हैं वैसे ही सब भोग जिस स्थितप्रज्ञ किसी प्रकारका विकार उत्पन्न पुरुषमें किये बिना ही समा जाते हैं, वही पुरुष परमशान्तिको प्राप्त होता है, भोगोंको चाहनेवाला नहीं Il ७० Il श्रीमद्भगवद् गीता अध्याय 2 गीता प्रेस , गोरखपुर से साभार - ShareChat