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संसारेऽस्मिन् क्षणार्थोऽपि सत्संगः शेवधिर्नृणाम् । यस्य दवाण्यते सर्व पुरुषार्थ चतुष्टयम् ॥ अर्थात 👉🏻 इस संसार में यदि क्षणभर के लिये भी सत्संग मिल जाय तो वह मनुष्यों के लिये निधि का काम देता है , क्योंकि उससे चारों पुरुषार्थ प्राप्त हो जाते हैं । 🌄🌄 प्रभातवंदन 🌄🌄 #☝अनमोल ज्ञान #🙏सुविचार📿
☝अनमोल ज्ञान - श्रीहरिः उत्तम साधकों के द्वारा भजन स्वाभाविक होता है। इसलिए यदि उन्हें भजन छोड़ने को कहा भी जाय तो वे उसे छोड़ नहीं सकते। भजन तो उनके जीवनगत हा गया। जब तक स्वाभाविक न हो तब तक अवश्य ही अभ्यास करना चाहिए। ज्यों-ज्यों अंतःकरण शुद्ध होगा , त्यों ्ही॰्त्यों भजन स्वभाविक होगा और उसमें रसानुभव होगा। सत्संग केबिखरे मोती श्रीहरिः उत्तम साधकों के द्वारा भजन स्वाभाविक होता है। इसलिए यदि उन्हें भजन छोड़ने को कहा भी जाय तो वे उसे छोड़ नहीं सकते। भजन तो उनके जीवनगत हा गया। जब तक स्वाभाविक न हो तब तक अवश्य ही अभ्यास करना चाहिए। ज्यों-ज्यों अंतःकरण शुद्ध होगा , त्यों ्ही॰्त्यों भजन स्वभाविक होगा और उसमें रसानुभव होगा। सत्संग केबिखरे मोती - ShareChat