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#बलिदान दिवस #शहीद दिवस #🇮🇳 देशभक्ति #🙏🏻माँ तुझे सलाम #आज जिनकी पुण्यतिथि है
बलिदान दिवस - मींधू कुम्हार Raipur Chhattisgarh लमकेनी ग्राम जिला धमतरी में श्री भैरा के घर सन् १९१२ में जन्मे मींधू कुम्हार ने मात्र आयु में रूद्री नवागांव के जंगल १८ वर्ष की सत्याग्रह  में हिस्सा लिया था। धमतरी के प्रमुख नेता नारायण राव मेघावाले नत्थूजी जगताप, बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव आदि के आव्हान पर रूद्री के आसपास के वन ग्रामों में रहने वाले लोग सैकड़ों की संख्या में २१ सितम्बर सन् १९३० को रूद्री जंगल में एकत्र होने लगे जहां वे वन कानूनों का सांकेतिक उल्लंघन कर जंगल सत्याग्रह को अंजाम दे रहे थे। मींधू सत्याग्रह करने का प्रशिक्षण भी धमतरी के सत्याग्रह आश्रम से प्राप्त कर चुके थे। वे आंदोलन की घोषणा होते ही गांधी टोपी पहनकर तिरंगा हाथ में लेकर अपने साथियों के साथ रूद्री पहुंचे जहां पुलिस ने धारा १४४ लगा दी थी | सत्याग्रहियों को घोड़े से कुचलने , डंडे और चाबुक से कपड़े उतरवा कर नंगी पीठ पर डी.एस.पी॰ ने पुलिस को दे मारने का हुक्म सत्याग्रहियों ने मिंधू कुम्हार के रखा था। साथ सखाराम, रतनूराम यादव आदि ने हंसिए से घास काटनी शुरू की और उनके ऊपर गोली   चलाने का आदेश दिया गया। वे इंकलाब जिंदाबाद और वंदेमातरम के नारे लगा रहे थे। गोलीबारी में तीनों को गोली लगी। सत्याग्रही उन्हें खाट पर डालकर धमतरी और फिर रायपुर लाए। मिंधू और सखाराम को बांह में और को पांव में गोली लगी रतनु थी। मिंधू को बचाया नहीं जा सका। वे २५ सितम्बर सन् १९३० को शहीद हो गए। उनका पार्थिव शरीर भी परिवार को नहीं दिया गया और कारावास में ही उनका पुलिस ने उन अंतिम संस्कार किया गया। पर देश द्रोह की लगाई थी। वे धमतरी  &RI के पहले शहीद थे और मात्र १८ वर्ष की आयु में शहीद हुए थे। मींधू कुम्हार Raipur Chhattisgarh लमकेनी ग्राम जिला धमतरी में श्री भैरा के घर सन् १९१२ में जन्मे मींधू कुम्हार ने मात्र आयु में रूद्री नवागांव के जंगल १८ वर्ष की सत्याग्रह  में हिस्सा लिया था। धमतरी के प्रमुख नेता नारायण राव मेघावाले नत्थूजी जगताप, बाबू छोटे लाल श्रीवास्तव आदि के आव्हान पर रूद्री के आसपास के वन ग्रामों में रहने वाले लोग सैकड़ों की संख्या में २१ सितम्बर सन् १९३० को रूद्री जंगल में एकत्र होने लगे जहां वे वन कानूनों का सांकेतिक उल्लंघन कर जंगल सत्याग्रह को अंजाम दे रहे थे। मींधू सत्याग्रह करने का प्रशिक्षण भी धमतरी के सत्याग्रह आश्रम से प्राप्त कर चुके थे। वे आंदोलन की घोषणा होते ही गांधी टोपी पहनकर तिरंगा हाथ में लेकर अपने साथियों के साथ रूद्री पहुंचे जहां पुलिस ने धारा १४४ लगा दी थी | सत्याग्रहियों को घोड़े से कुचलने , डंडे और चाबुक से कपड़े उतरवा कर नंगी पीठ पर डी.एस.पी॰ ने पुलिस को दे मारने का हुक्म सत्याग्रहियों ने मिंधू कुम्हार के रखा था। साथ सखाराम, रतनूराम यादव आदि ने हंसिए से घास काटनी शुरू की और उनके ऊपर गोली   चलाने का आदेश दिया गया। वे इंकलाब जिंदाबाद और वंदेमातरम के नारे लगा रहे थे। गोलीबारी में तीनों को गोली लगी। सत्याग्रही उन्हें खाट पर डालकर धमतरी और फिर रायपुर लाए। मिंधू और सखाराम को बांह में और को पांव में गोली लगी रतनु थी। मिंधू को बचाया नहीं जा सका। वे २५ सितम्बर सन् १९३० को शहीद हो गए। उनका पार्थिव शरीर भी परिवार को नहीं दिया गया और कारावास में ही उनका पुलिस ने उन अंतिम संस्कार किया गया। पर देश द्रोह की लगाई थी। वे धमतरी  &RI के पहले शहीद थे और मात्र १८ वर्ष की आयु में शहीद हुए थे। - ShareChat