#राधे कृष्ण #राधे राधे #जय श्री कृष्ण
बिहरत लाल बिहारिन दोऊ श्रीजमुना के तीरें तीरें ।
अद्भुत अखंड मंडल भुव पर बर भांमिनि भुज भीरें भीरें ।।
तामें द्वै ससि श्रवत सुधा श्रम-जल-कन मुख छबि नीरें नीरें ।
उपजत किरन कपोल विमल हंसि लसि दसनावलि हीरें होरें ॥
कुंज गगन घन अलक बदरिया चलत परस्पर सीरें सोरें ।
लोचन चारु चकोर चितै हित पीवत अधीर न धीरे धीरें ॥
उमंगि मिलत अनुराग नवल वर कल कुंडल चल बीरें बीरें ।
श्रीबिहारीदास सुरझतन नहिं तन मन अरुझि अरुन पट पोरें पीरें ।॥
श्री बिहारिन देव जू की वाणी
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