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🔱🎋👌🛕🕉️🌳🔱 *🙏सादर वन्दे🙏* *🚩धर्मयात्रा🚩* *🔱मुरुदेश्वर शिवना टेम्पल , कर्नाटक🔱* मुरुदेश्वर (Murudeshwar) मन्दिर भारत के कर्नाटक राज्य के उत्तर कन्नड़ ज़िले की भटकल तालुका में स्थित एक नगर है। यह भटकल नगर से लगभग 13 कि .मी. दूर अरब सागर तट पर स्थित है।यह मन्दिर दक्षिण भारत की यात्रा के रुट में ही उडूपी से 101 कि.मी. दूर है तथा यहाँ से गोकर्ण की दूरी मात्र 71 कि.मी. है गोकर्ण भी दक्षिण भारत की यात्रा के रुट का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। *मुरुदेश्वर मन्दिर एक हिन्दू तीर्थस्थल है और यहाँ विश्व की दूसरी सबसे बड़ी भगवान शिव की मूर्ति है।* मुरुदेश्वर मन्दिर को कर्नाटक में भगवान शिव के पाँच पवित्र स्थानों या क्षेत्रों में से एक माना जाता है , जिनमें धर्मस्थल , नंजनगुड , गोकर्ण और धारेश्वर शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि इन मन्दिरों में रावण द्वारा तोड़े गए आत्म-लिंग के पाँच टुकड़े रखे हैं और ये *कर्नाटक के पंचक्षेत्र* शिवभक्तों द्वारा पूजनीय हैं। मुरुदेश्वर मन्दिर को मृदेश्वर क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है , जिसका अर्थ है आत्म-लिंग का स्थान । यह मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है। मन्दिर परिसर के बीचों-बीच भगवान शिव की लगभग 123 फीट ऊंची प्रतिमा है , जिसे बनाने में लगभग 2 साल लगे थे और लगभग 5 करोड़ रुपये की लागत आई थी।  इस प्रतिमा का निर्माण 2006 में आर.एन.शेट्टी नामक एक व्यवसायी और समाजसेवी ने करवाया था इस प्रतिमा को सूर्य की ओर मुख करके बनाया गया है, ताकि सूर्य की सुबह की पहली किरणें उनके चेहरे पर पड़ें। यह प्रतिमा दूर से भी दिखाई देती है , और इसे पास के समुद्र तट और राजमार्ग से भी देखा जा सकता है। मन्दिर परिसर में 20 मंजिला *राजगोपुरम* है , जो दुनिया का सबसे ऊॅंचा गोपुरम है। राज गोपुरम के ऊपर से शिव प्रतिमा का शानदार नज़ारा दिखता है , जिसके लिए एक लिफ्ट की भी सुविधा है जो आगंतुकों को सबसे ऊपरी मंजिल तक ले जाती है , जहाँ से वे शिव प्रतिमा , समुद्र और हरियाली का मनमोहक दृश्य देख सकते हैं। मीनार में जटिल नक्काशी और मूर्तियाँ भी हैं जो हिंदू पौराणिक कथाओं के विभिन्न दृश्यों को दर्शाती हैं , जैसे समुद्र मंथन , राम और रावण के बीच युद्ध , और गणेश और आत्म-लिंग की कथा । मुरुदेश्वर मन्दिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा हुआ है , जब रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण को आत्मलिंग ( भगवान शिव की आत्मा ) प्रदान किया‌ । पौराणिक कथा के अनुसार , जब रावण आत्मलिंग को लंका ले जा रहा था , तब भगवान विष्णु एवं गणेश जी ने छल से इसे जमीन पर रखवा दिया जमीन पर रखते ही वह आत्म-लिंग अचल हो गया और रावण ने उसे उखाड़ने का भरसक प्रयास किया , लेकिन वह उसके केवल कुछ टुकड़े ही तोड़ पाया , वे टुकड़े और उस आत्मलिंग पर ढका हुआ कपड़ा विभिन्न स्थानों पर गिरे। इन्हीं टुकड़ों में से एक टुकड़ा और ढका हुआ वह कपड़ा कंदुका नामक पहाड़ी पर गिरा और मुरुदेश्वर मन्दिर का मुख्य देवता बन गया जो आज भी इस स्थान को पवित्र बनाता है।इस मन्दिर की पूरी कहानी का विवरण शिव पुराण में मिलता है । स्थानीय वासियों के अनुसार यहाँ एक प्राचीन मन्दिर था जिसे आतताइयों के द्वारा नष्ट कर दिया गया था ; वर्तमान मन्दिर का निर्माण 20वीं सदी में तत्कालीन सरकार और व्यापारियों के सहयोग से हुआ है । भगवान शिव हिंदू धर्म के सबसे पूजनीय देवताओं में से एक हैं और उनके मन्दिर पूरे भारत और उसके बाहर भी पाए जाते हैं। कर्नाटक के तटीय शहर मुरुदेश्वर में स्थित मुरुदेश्वर मन्दिर , उन्हें समर्पित सबसे शानदार और अनोखे मन्दिरों में से एक है। यह मन्दिर न केवल एक पूजा स्थल है , बल्कि एक पर्यटक आकर्षण भी है जहाँ से अरब सागर और आसपास के परिदृश्य का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है। मन्दिर परिसर में एक *भूकैलासा गुफा संग्रहालय* भी है , जो शिव प्रतिमा के पास बनी एक कृत्रिम गुफा है। इस गुफा संग्रहालय में विभिन्न प्रतिमाएँ और मूर्तियाँ प्रदर्शित हैं जो रावण और आत्म-लिंग की कहानी , उसकी तपस्या से लेकर गणेश द्वारा उसकी पराजय तक , का वर्णन करती हैं। यह गुफा संग्रहालय अच्छी तरह से प्रकाशित और वातानुकूलित है , और इसमें एक ऑडियो गाइड भी है जो दृश्यों की व्याख्या करता है। यह गुफा संग्रहालय आगंतुकों , विशेषकर बच्चों के लिए एक आकर्षक आकर्षण है , जो हिंदू पौराणिक कथाओं और संस्कृति के बारे में जान सकते हैं। मन्दिर के परिसर में प्रवेश के लिए सीढ़ियों के पास कंक्रीट के दो सजीव हाथी बनाए गए हैं।  मुरुदेश्वर को कर्नाटक के पांच पवित्र शिव स्थानों *( कर्नाटक के पंचक्षेत्र )* में से एक माना जाता है। आप अपनी दक्षिण भारत की यात्रा में इस अद्भुत शिव मन्दिर को अवश्य शामिल करियेगा। *🚩धर्मयात्रा🚩 हेतु जुड़े :* https://chat.whatsapp.com/DL3dGHXF7qb4Lzex2fZg5h *🙏शिव🙏9993339605* 🔱🎋👌🛕🕉️🌳🔱 #ॐ नमः शिवाय #मंदिर दर्शन
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